क्या ‘अच्छे दिन’ आ गए और फिर ‘अमृतकाल’ शुरू हो गया: तृणमूल कांग्रेस
तृणमूल कांग्रेस ने बुधवार को राज्यसभा में सरकार से जानना चाहा कि जो ‘अच्छे दिन’ आने वाले थे क्या वह आ गए और कया उसके बाद अमृतकाल शुरू हो गया? पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार अमृतकाल, आजादी का अमृत महोत्सव, अच्छे दिन का जिक्र जनता के सामने मौजूद मुद्दों, उनकी समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए कर रही है.
नयी दिल्ली, 8 फरवरी : तृणमूल कांग्रेस ने बुधवार को राज्यसभा में सरकार से जानना चाहा कि जो ‘अच्छे दिन’ आने वाले थे क्या वह आ गए और कया उसके बाद अमृतकाल शुरू हो गया? पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार अमृतकाल, आजादी का अमृत महोत्सव, अच्छे दिन का जिक्र जनता के सामने मौजूद मुद्दों, उनकी समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए कर रही है. उच्च सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए तृणमूल कांग्रेस के जवाहर सरकार ने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में ‘‘अमृतकाल’’ की बात कही गई है लेकिन यह ‘‘अमृतकाल’’ आखिर है क्या ? उन्होंने पूछा कि जो ‘अच्छे दिन’ आने वाले थे क्या वह आ गए और उसके बाद अमृतकाल शुरू हो गया? उन्होंने कहा ‘‘हमें इस बात की बहुत खुशी है कि आज आजादी का अमृत महोत्सव वह लोग मना रहे हैं जिनके पूर्वजों ने देश के स्वाधीनता संग्राम में कभी हिस्सा ही नहीं लिया था.’’
उन्होंने कहा कि अमृतकाल, आजादी का अमृत महोत्सव, अच्छे दिन का जिक्र जनता के सामने मौजूद मुद्दों, उनकी समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए किया जाता है. उन्होंने कहा ‘‘समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए ही यह शब्द गढ़े गए हैं.’’ सरकार पर सब्जबाग दिखाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने काला धन वापस लाने, किसानों की आमदनी दोगुनी करने, पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने, बुलेट ट्रेन चलाने से लेकर कई वायदे किए जो केवल वायदे ही रह गए, और उनके पूरे होने के आसार भी नहीं है. उन्होंने सवाल किया कि क्या ये वादे अमृतकाल, आजादी का अमृत महोत्सव, अच्छे दिन का हिस्सा हैं ? उन्होंने तंज किया कि देश के अलग अलग हिस्सों में विरोध किए जाने के बावजूद ‘‘पठान’’ फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई कर रही है और ‘‘शायद 15 लाख रुपये उससे ही आएंगे.’’ यह भी पढ़ें : ग्वालियर में बालिका से बलात्कार, हत्या करने का आरोपी रिश्तेदार गिरफ्तार
सरकार ने कहा कि अभिभाषण में भ्रष्टाचार खत्म करने की बात की गई है लेकिन सच यह है कि आज तक यह खत्म नहीं हो पाया है. उन्होंने अडाणी समूह से जुड़े मुद्दे का जिक्र करते हुए कहा कि तमाम वित्तीय संस्थाओं को धता बताते हुए जो कुछ किया गया, वह आज देश के अब तक के सबसे बड़े वित्तीय घोटाले के रूप में सामने आया है और उनकी पार्टी इस पूरे घटनाक्रम की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति गठित किए जाने की मांग करती है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर तो सदन में चर्चा भी नहीं की जा रही है. उन्होंने कहा कि इस मामले की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में, समयबद्ध तरीके से जांच की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि अभिभाषण में गरीबी का जिक्र है. उन्होंने कहा कि आज गरीब और अधिक गरीब होते जा रहे हैं और अमीरों की अमीरी बढ़ती जा रही है. उन्होंने कहा कि बीते 11 साल में सरकार ने कोई ‘‘उपभोक्ता खर्च सर्वे’’ नहीं कराया, फिर अस्पष्टता के बीच गरीबी की बात कैसे की जा सकती है.
उन्होंने कहा कि यह सर्वे 2011-12 में कराया गया था और बाद में मोदी सरकार के कार्यकाल में ऐसा कोई सर्वे नहीं कराया गया है. उन्होंने मांग की कि यह सर्वे कराया जाए और इसकी रिपोर्ट पेश की जाए. जवाहर सरकार ने जानना चाहा कि देश में गरीबों की संख्या कितनी है ? उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अपने आप गरीबों को लेकर समीक्षा करती है लेकिन तथ्य कभी पेश नहीं करती. उन्होंने कहा कि गरीबों की मदद के लिए चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं का बजट आवंटन सरकार ने कम कर दिया. उन्होंने पश्चिम बंगाल के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार किए जाने का आरोप लगाया. तृणमूल सदस्य ने साथ ही कहा ‘‘बहुत जल्द ही संसद की नयी इमारत बन जाएगी और हम वहां काम करेंगे. लेकिन अब तक इस बारे में अब तक न तो कोई चर्चा की गई है और न ही हमें पता है कि वहां कौन कौन सी सुविधाएं होंगी. क्या भारतीय स्टेट बैंक सहित विभिन्न जरूरतों के लिए हमें एक इमारत से दूसरी इमारत जाना पड़ेगा ?’’
उन्होंने कहा कि बहुत बड़े हिस्से में सभागार बनाया जा रहा है और इसका कारण भी है. उन्होंने कहा कि करीब 50 फीसदी संसद सदस्य लॉबी में या अन्य जगहों पर जरूरी काम में लगे रहते हैं और ऐसे में टीवी कैमरे सदन में मौजूद करीब 50 फीसदी सदस्यों को ही दिखा पाते हैं. उन्होंने कहा कि बड़े सभागार में सदस्यों की अनुपस्थिति कैमरों पर नजर आएगी तो इसका मतलब यह होगा कि सदस्य सदन को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. सरकार के अनुसार, इससे उस सोच को बल मिलेगा कि संसद की जरूरत नहीं है.
उन्होंने दावा किया कि गुजरात विधानसभा में बैठकों की संख्या बहुत कम कर दी गई है और राष्ट्रीय संसद में भी ऐसा ही किया जा सकता है.उन्होंने कहा कि संसद भवन की पुरानी इमारत में हमें कमल का फूल, अन्य भारतीय प्रतीक चिह्नों सहित बहुत कुछ हमारी विरासत से, हमारी संस्कृति से जोड़ता है लेकिन क्या नयी इमारत में भी ऐसा होगा? उन्होंने कहा कि नयी इमारत के निर्माण के लिए परामर्श की खातिर 250 करोड़ रुपये में गुजरात के एक वास्तुविद को चुना गया है . सरकार ने कहा कि स्वास्थ्य पर बजट का व्यय सकल घरेलू उत्पाद का मात्र 3.6 फीसदी है जबकि पश्चिमी जगत में यह 12 से 19 फीसदी है. उन्होंने कहा, ‘‘हमें शर्म आती है कि हम, सबसे बड़ी आबादी, स्वास्थ्य के क्षेत्र में किस हद तक उदासीन हैं.’’