गाजा पट्टी में एक अस्पताल पर हुए हमले में सैकड़ों लोगों की मौत हो गयी है. यह हमला युद्ध अपराधों की श्रेणी में आ सकता है. क्या है युद्धों के कानून, जानिए.बुधवार को गाजा पट्टी में एक अस्पताल पर हुए मिसाइल हमले में सैकड़ों लोगों की मौत की दुनियाभर में आलोचना हो रही है. अमेरिका ने इस हमले की जांच के भी आदेश दिये हैं. इस्राएल का कहना है कि उसने अस्पताल को निशाना नहीं बनाया और यह हमास के अपने रॉकेट के गलत दिशा में जाने से हुआ है. हमास ने इससे इनकार किया है.
जिसने भी अस्पताल पर हमला किया है, उस पर अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत युद्ध अपराध का आरोप लग सकता है. युद्ध अपराध एक संगीन आरोप है, जिसके लिए अंतरराष्ट्रीय कानून काम करता है.
पिछले हफ्ते से जारी युद्ध मेंहमास और इस्राएल दोनों पर ही अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करने के आरोप लगे हैं. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि वह दोनों ही पक्षों के उल्लंघनों की जांच कर रहा है.
युद्ध अपराध कानून की जांच और उसे लागू करना बेहद जटिल काम है और अक्सर युद्धों के बाद इन अपराधों की जांच और अपराधियों को कठघरे में लाना मुश्किल हो जाता है.
क्या हैं युद्धों के नियम?
युद्धों पर कई तरह के नियम लागू होते हैं जो अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीसी) और संयुक्त राष्ट्र चार्टर आदि में बताये गये हैं. इनके तहत देशों को अपनी रक्षा करने का अधिकार तो है लेकिन किसी देश पर हमला करने का अधिकार नहीं होता.
इसके अलावा जंग के मैदान में सैनिकों को व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए जेनेवा कन्वेंशन के तहत कुछ नियम बनाये गये हैं. ये नियम द्वीतीय विश्व युद्ध के बाद बनाये गये थे जिन पर लगभग हर सदस्य देश ने सहमति जतायी है.
जेनेवा कन्वेंशन के तहत घायलों और कैदियों के साथ मानवीय व्यवहार का नियम है. हत्याओं, यातनाओं और अपहरण आदि पर प्रतिबंध है. इसके अलावा अपमानजनक व्यवहार पर भी रोक लगायी गयी है. विरोधी सेनाओं के बीमारों और घायलों के इलाज का भी नियम है.
ये नियम पूर्णकालिक युद्ध से लेकर छोटे विवादों तक पर लागू होते हैं. यानी जंग दो देशों के बीच हो रही है, जैसे कि रूस और यूक्रेन या फिर कोई पक्ष राष्ट्र ना हो, जैसे कि हमास, तब भी ये नियम लागू होते हैं.
रोम स्टैच्यू और इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के तहत जिन गतिविधियों को युद्ध अपराधों के तहत लाया गया है, उनमें नागरिकों, नागरिक ठिकानों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर जानबूझ कर किये गये हमले, असैन्य संपत्ति का नुकसान, यौन हिंसा और गैरकानूनी निर्वासन आदि शामिल हैं.
इसके अलावा कुछ खास तरह के हथियारों के इस्तेमाल पर भी पाबंदी है, जिनमें जैविक और रासायनिक हथियार शामिल हैं. हालांकि इन संधियों पर कई देशों ने दस्तखत नहीं किये हैं.
क्या हमास ने युद्ध अपराध किये?
हमास ने इस्राएली कस्बों और शहरों पर हजारों रॉकेट दागे हैं. साथ ही 7 अक्तूबर को उसने इस्राएली सीमा में सैकड़ों बंदूकधारी भेजे जिन्होंने नागरिक ठिकानों पर हमले किये और सैकड़ों आम लोगों की जान ली. इनमें बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल हैं जिन्हें उनके घरों में ही मार दिया गया.
इस्राएल का कहना है कि हमास के हमलों में कम से कम 1,400 लोगों की जान गयी और 199 का अपहरण कर लिया गया. यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में कानून पढ़ाने वाले हेम अब्राहम कहते हैं कि अपराधों के सबूत स्पष्ट हैं.
उन्होंने कहा, "उन्होंने आम नागरिकों को उनके घरों में घुसकर मारा. लोगों को अगवा किया और बंधक बना लिया. ये चीजें साफ तौर पर युद्ध अपराध हैं.”
एमनेस्टी इंटरनेशनल फ्रांस के अंतरराष्ट्रीय न्याय आयोग में वकील जीन सल्जर कहती हैं कि जेनेवा कन्वेंशन में साफ तौर पर कहा गया है कि आम नागरिकों को कभी बंधक नहीं बनाया जाना चाहिए और अगर ऐसा किया जाता है तो यह युद्ध अपराध माना जा सकता है.
इस्राएल की कार्रवाई कानून का उल्लंघन?
इस्राएली सेना ने गजा पर ताबड़-तोड़ हवाई हमले किये हैं. वहां खाने-पीने की चीजों, ईंधन और बिजली जैसी सुविधाएं रोक दी हैं औरलोगों को पट्टीके उत्तरी इलाके को खाली करने को कहा है.
गाजा अधिकारियों के मुताबिक बमबारी में अब तक 2,800 लोगों की जान जा चुकी है जबकि 11,000 लोग घायल हुए हैं. आलोचकों का कहना है कि इस्राएल गजा में रहने वाले 20 लाख लोगों को सजा दे रहा है.
जेनेवा स्थित अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस ने कहा है कि लाखों लोगों को अपने घरों से चले जाने को कहना और "उनके खाने-पीने व बिजली की सप्लाई अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों” के खिलाफ है.
इस्राएल की सेना का दावा है कि वह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन कर रही है और सिर्फ उग्रवादियों को खत्म करने के लिए ही हमले कर रही है, जो खुद को आम नागरिकों के बीच छिपाये हुए हैं.
ह्यूमन राइट्स वॉच ने आरोप लगाया है कि इस्राएल ने हमलों में सफेद फासफोरस का इस्तेमाल किया है. यह तत्व प्रतिबंधित नहीं है लेकिन घनी आबादी वाले इलाकों में इसका इस्तेमाल निंदनीय माना जाता है. इस्राएली सेना ने इन तत्वों का इस्तेमाल करने से इनकार किया है.
वीके/सीके (एपी/रॉयटर्स)