जरुरी जानकारी | ‘हाफेड’ की सरसों बिकवाली की पहल से अधिकांश तेल तिलहन के दाम टूटे
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. सहकारी संस्था हाफेड द्वारा सरसों बिकवाली की पहल के कारण सरसों की कीमतों में उतार चढ़ाव रहने के बीच शनिवार को देश की मंडियों में अधिकांश तेल तिलहन कीमतों में गिरावट देखने को मिली।
नयी दिल्ली, आठ जून सहकारी संस्था हाफेड द्वारा सरसों बिकवाली की पहल के कारण सरसों की कीमतों में उतार चढ़ाव रहने के बीच शनिवार को देश की मंडियों में अधिकांश तेल तिलहन कीमतों में गिरावट देखने को मिली।
मूंगफली तेल तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे जबकि सरसों के महंगा होने के बाद बिनौला खल की मांग बढ़ने से बिनौला तेल और बिनौला खल के दाम मजबूत बंद हुए।
बाजार सूत्रों ने कहा कि नाफेड के द्वारा सरसों की बिक्री के लिए निविदा मंगाने की प्रक्रिया के कारण बाजार में उथल पुथल जैसी स्थिति है और इससे सबसे अधिक परेशान तेल उद्योग के कारोबारी हैं। सरसों के दाम में रोज घट बढ़ हो रही है जबकि किसानों के पास अभी सरसों का काफी स्टॉक बचा हुआ है।
पिछले साल के सरसों का स्टॉक भी बचा हुआ है। ऐसे में हाफेड को सरसों बिक्री की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिये थी। इसका असर बाकी तेल तिलहन कीमतों पर भी हुआ तथा सरसों के अलावा सोयाबीन तेल तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन के दाम में भी गिरावट आई।
उन्होंने कहा कि सरसों के दाम महंगा होने की वजह से इसके खल के दाम भी मजबूत हुए हैं। इस सरसों के दाम में आई तेजी की वजह से बिनौल खल की मांग बढ़ी गई है। मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसी जगहों पर बिनौले की आवक लगभग खत्म हो चली है।
कपास का अधिकांश ऊपज बाजार में खप चुका है और अगली फसल आने में अभी देर है। पंजाब सहित कुछ राज्यों में कपास खेती का रकबा भी घटने की सूचना है। उन्होंने कहा कि खल की कमी की वजह से अभी एकदम हाल ही में ‘अमूल’ ब्रांड ने अपने दूध के दाम में तीन रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है। दूध् की खपत खाद्यतेल मुकाबले लगभग सात गुना अधिक है।
नयी सरकार को तेल तिलहन उद्योग की समस्याओं को बारीकी से समझकर एक सुस्पष्ट नीति बनानी चाहिये जिससे तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के साथ साथ पशुपालन उद्योग के लिए खल का उत्पादन भी बढ़े। इस दिशा में बिनौला के नकली खल कारोबार पर अंकुश लगाने की भी पहल करनी होगी।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 5,950-6,010 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली - 6,125-6,400 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 14,650 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,220-2,520 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 11,450 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,865-1,965 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,865-1,990 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,350 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,150 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,850 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,775 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,200 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,950 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 8,950 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना - 4,730-4,750 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,530-4,650 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,075 रुपये प्रति क्विंटल।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)