देश की खबरें | गुजरात : बोरवेल में गिरी दो साल की बच्ची की मौत, शव बरामद

जामनगर, चार जून गुजरात में जामनगर जिले के बोरवेल में गिरने के बाद शनिवार को 20 फुट गहराई में फंसी दो वर्षीय बच्ची को बचाने के लिए विभिन्न एजेंसियों ने 19 घंटे तक बचाव अभियान चलाया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका।

जामनगर शहर से करीब 40 किलोमीटर दूर तमाचान गांव के एक खेत में मजदूर के रूप में काम करने वाले एक जनजातीय परिवार की बच्ची शनिवार सुबह साढ़े नौ बजे खेलते समय करीब 200 फुट गहरे बोरवेल में गिर गई थी।

बच्ची को बचाने के लिए बचाव अभियान चलाया गया, जिसमें सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और स्थानीय दमकल कर्मी शामिल हुए।

जामनगर तालुका विकास विभाग के अधिकारी एन ए सरवैया ने बताया कि बच्ची को रविवार सुबह करीब पौने छह बजे बोरवेल से बाहर निकाला गया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।

सरवैया के मुताबिक, स्थानीय प्रशासन को शनिवार पूर्वाह्न करीब 11 बजे इस घटना की सूचना मिली थी, जिसके तुरंत बाद बचाव अभियान शुरू किया गया, जिसमें जामनगर के अग्निशमन विभाग के कर्मियों को भी शामिल किया गया।

उन्होंने बताया कि बाद में जामनगर से आया सेना के जवानों का एक दल और वडोदरा से भेजा गया एनडीआरएफ का एक दल भी अभियान से जुड़ गया।

अधिकारी ने कहा, ‘‘सेना और एनडीआरएफ कर्मियों ने रातभर बचाव अभियान चलाया। बोरवेल पानी से भरा था और बचाव अभियान में एक निजी बोरवेल रोबोट का भी इस्तेमाल किया गया।’’

उन्होंने बताया, ‘‘बच्ची को बचाने के प्रयास के तहत बोरवेल से पानी निकाला गया और एक समानांतर गड्ढा खोदा गया। अंतत: लड़की को रविवार सुबह करीब पौने छह बजे बाहर निकाला गया और उसे मृत घोषित कर दिया गया।’’

इस घटना ने खुले बोरवेल से पैदा होने वाले खतरे को लेकर फिर से चिंता पैदा कर दी है।

गुजरात में सुरेंद्रनगर जिले के एक गांव में जुलाई 2022 में 12 वर्षीय एक लड़की बोरवेल में गिर गई थी और 60 फुट गहराई में फंस गई थी, लेकिन लगभग पांच घंटे बाद उसे बचा लिया गया था।

पिछले साल नौ जून को सुरेंद्रनगर के एक खेत में दो साल का एक बच्चा बोरवेल में गिर गया था, जिसके बाद सेना, दमकलकर्मी, पुलिस और स्वास्थ्य अधिकारियों के एक दल ने मौके पर पहुंचकर उसे बचाया था।

उच्चतम न्यायालय ने 2009 में खुले छोड़े गए बोरवेल में बच्चों के गिरने की घातक दुर्घटनाओं को रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे। न्यायालय ने 2010 में संशोधित दिशा-निर्देश भी जारी किए थे।

सिम्मी पारुल

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)