जयपुर, 17 जुलाई राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने बुधवार को कहा कि मानवीय मूल्यों के उत्थान एवं विकास में संतों का महान योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि भारत भूमि ने ऐसे लोगों को जन्म दिया है, जो युग के साथ नहीं बहे बल्कि युग को अपने बहाव के साथ ले गए और आचार्य श्री तुलसी ऐसे ही महापुरुष थे।
शर्मा बुधवार को लाडनूं स्थित जैन विश्व भारती में सुधर्मा सभा प्रवचन स्थल के शिलान्यास कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आचार्य ने अणुव्रत आंदोलन के जरिये मानव धर्म का व्यावहारिक स्वरूप लोगों के सामने रखा तथा समाज को अंधविश्वास, रूढ़िवादिता और पूर्वाग्रह से मुक्त किया।
शर्मा ने कहा कि आचार्य ने भौतिकवाद की तरफ बढ़ते मानव को अध्यात्मवाद की तरफ मोड़ा। मानव समाज की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक चेतना का जागरण करना उनके जीवन का परम लक्ष्य था।
उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य की समग्र उन्नति का आकलन केवल भौतिक विकास से ही नहीं बल्कि वहां के नागरिकों में मानवीय मूल्यों और विचारों की समृद्धता से भी होता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भौतिकवाद से आध्यात्मवाद की ओर बढ़ने पर हमारे आचरण और विचार समाज के प्रति बदलते हैं और हम समाज, देश और राष्ट्र के लिए समर्पित भाव से कार्य कर पाते हैं।
शर्मा ने कहा कि आचार्य महाश्रमण जी द्वारा वर्ष 2026 में एक वर्षीय योगक्षेम वर्ष के लिए जैन विश्व भारती के पवित्र स्थान पर प्रवास करना सम्पूर्ण प्रदेश के लिए मंगलकारी होगा।
आधिकारिक बयान के अनुसार, शर्मा ने कहा कि भारत एक समय शिक्षा का महान केंद्र था, यहां नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों में देश-विदेश के शिक्षार्थी शिक्षा प्राप्त करते थे।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय को नया जीवन देकर पुरातन संस्कृति का वैभव बहाल करने का काम किया है।
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