नई दिल्ली, 19 नवंबर: संविधान और विधि विशेषज्ञों ने शुक्रवार को कहा कि सरकार को तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए संसद में विधेयक लाना होगा.इन कानूनों को निरस्त किए जाने की मांग को लेकर किसान पिछले करीब एक साल से प्रदर्शन कर रहे थे. प्रधानमंत्री मोदी ने की तीनों नये कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए शुक्रवार को कहा कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किया जाएगा और इसके लिए आवश्यक संवैधानिक प्रक्रिया को इस महीने शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में पूरा किया जाएगा.पूर्व केंद्रीय विधि सचिव पी के मल्होत्रा ने कहा, ‘‘किसी कानून को निरस्त करने के मामले में संसद की शक्ति संविधान के तहत कानून लागू किए जाने के ही समान है.’’
सरकार को तीनों कानूनों को निरस्त करने के लिए एक विधेयक लाना होगा.पूर्व लोकसभा महासचिव पी डी टी आचार्य ने कहा, ‘‘और कोई तरीका नहीं है. ’’आचार्य ने एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को एक निरस्तीकरण विधेयक के जरिए निरस्त कर सकती है.उन्होंने कहा कि विधेयक के उद्देश्य एवं कारण संबंधी वक्तव्य में सरकार यह कारण बता सकती है, वह तीनों कानूनों को निरस्त क्यों करना चाहती है.मल्होत्रा ने कहा, ‘‘जब कोई निरस्तीकरण विधेयक पारित किया जाता है, तो वह भी कानून होता है. ’’उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानून लागू नहीं किए गए थे, लेकिन वे संसद द्वारा पारित कानून हैं, जिन्हें राष्ट्रपति की अनुमति मिली है और उन्हें संसद द्वारा ही निरस्त किया जा सकता है.
मोदी ने गुरु नानक जयंती पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि ये कानून किसानों के हित के लिए लाए गए थे.उन्होंने लोगों से क्षमा मांगी और कहा कि सरकार अपनी मंशा साफ होने के बावजूद किसानों के एक वर्ग को राजी नहीं कर पाई.किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, किसानों (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक तीन कृषि कानून हैं, जिन्हें निरस्त करने की घोषणा की गई है.
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