Maharashtra: राज्यपाल का पद छोड़ने के प्रस्ताव पर शिवसेना (UBT) का भगत सिंह कोश्यारी पर तंज, कहा- 'देर आए दुरुस्त आए'

कांग्रेस ने सोमवार को मांग की कि अपना पद छोड़ने की इच्छा व्यक्त कर चुके राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को राष्ट्रपति पद से बर्खास्त करें और उन्हें पद छोड़ने की अनुमति नहीं दें. वहीं शिवसेना (यूबीटी) ने तंज कसते हुए कहा कि ‘देर आए दुरुस्त आए’.

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Photo Credit: Twitter)

मुंबई, 23 जनवरी:  कांग्रेस ने सोमवार को मांग की कि अपना पद छोड़ने की इच्छा व्यक्त कर चुके राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को राष्ट्रपति पद से बर्खास्त करें और उन्हें पद छोड़ने की अनुमति नहीं दें। वहीं शिवसेना (यूबीटी) ने तंज कसते हुए कहा कि ‘देर आए दुरुस्त आए’. महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के घटक दल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने कहा कि यदि कोश्यारी राज्यपाल के पद को केवल राजनीतिक ना समझकर संवैधानिक पद समझते हैं तो उन्हें राष्ट्रपति को लिखना चाहिए कि वे उन्हें सभी तरह की जिम्मेदारियों से मुक्त कर दें.

महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने आरोप लगाया कि एमवीए के सत्ता में रहने (नवंबर 2019 से जून 2022) के दौरान कोश्यारी ने ऐसी मानसिकता दिखाई जैसे कि राज्यपाल संवैधानिक व्यवस्था को तोड़ने के लिए थे. पटोले ने संवाददाताओं से कहा कि राष्ट्रपति को पत्र लिखने की बजाय कोश्यारी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा, जबकि उनके पद का संबंध राष्ट्रपति से है. उन्हें उनकी जिम्मेदारियों से मुक्त नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि उन्हें उनके पद से बर्खास्त किया जाना चाहिए. यह भी पढ़े: Bhagat Singh Koshyari To Resign? भगत सिंह कोश्यारी महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से होना चाहते हैं मुक्त, पीएम मोदी से जाहिर की इच्छा

शिवसेना (यूबीटी) नेता और प्रवक्ता अरविंद सावंत ने कहा कि कोश्यारी को उनके संविधान से परे के कृत्यों के लिए दोषमुक्त नहीं किया जा सकता. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के संदर्भ में सावंत ने उस आधार को लेकर सवाल उठाया जिसके तहत राज्यपाल ने गत जून में एक “संविधानेत्तर” मुख्यमंत्री को पद की शपथ दिला दी थी। सावंत ने कहा, “देर आए दुरुस्त आए.

राकांपा प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने ट्वीट किया, ‘‘ महाराष्ट्र के माननीय राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी जी निश्चित रूप से जानते हैं कि राज्यपाल का पद संवैधानिक पद है न कि राजनीतिक। यदि वह ऐसा मानते हैं, तो वह अपनी सभी तरह की संवैधानिक जिम्मेदारियों से खुद को मुक्त करने के लिए माननीय राष्ट्रपति को लिखते.

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