चंडीगढ़, 22 फरवरी हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सोमवार को कहा कि केंद्र को कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ फिर से वार्ता शुरू करनी चाहिए ताकि मुद्दे का समाधान हो।
सरकार ने प्रदर्शन कर रही यूनियनों के साथ 11 दौर की वार्ता की है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका है।
हुड्डा ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘सरकार को जल्द इस मुद्दे का समाधान निकालना चाहिए। सरकार को वार्ता की प्रक्रिया शुरू करने की पहल करनी चाहिए और किसानों की मांगें मान लेनी चाहिए।’’
प्रवर्तन निदेशालय द्वारा 2013 में पंचकूला में औद्योगिक भूखंडों के आवंटन में कथित अनियमितता से जुड़े धन शोधन मामले में हुड्डा और चार सेवानिवृत्त अधिकारियों समेत कुछ अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए जाने के मामले पर भी पूर्व मुख्यमंत्री से सवाल पूछे गए।
अपनी जान-पहचान वालों को भूखंडों के आवंटन के आरोपों को लेकर पूछे जाने पर हुड्डा ने कहा कि वह पहले भी कह चुके हैं कि ‘‘यह सारा मामला राजनीति से प्रेरित है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है, सारी चीजें साफ हो जाएंगी।’’
हरियाणा की भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार पर निशाना साधते हुए हुड्डा ने दावा किया कि बिजली विभाग में सब डिविजनल अधिकारियों की नियुक्ति में दूसरे राज्यों के युवाओं को तरजीह दी गयी।
हुड्डा ने कहा, ‘‘एक तरफ सरकार दावा करती है कि वह हरियाणा के लोगों को निजी क्षेत्र की नौकरियों में भी 75 प्रतिशत आरक्षण देगी लेकिन सरकार अन्य भर्तियों में स्थानीय युवाओं के बजाए बड़े पैमाने पर दूसरे राज्यों के लोगों को नौकरियां दे रही है। ’’
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार की नीतियों के कारण रोजगार के अवसर पैदा नहीं हो रहे।
विपक्ष के नेता ने कहा, ‘‘सरकार विभिन्न आधार पर एक के बाद भर्तियां रद्द कर रही है। सबसे पहले ग्राम सचिव, फिर पीजीटी संस्कृत शिक्षक और अब टीजीटी अंग्रेजी शिक्षकों की भर्ती रद्द कर दी गयी। सरकार की अनियमितताओं का खामियाजा शिक्षित युवाओं को भुगतना पड़ रहा है।’’
जहरीली शराब के कारण मौत के बाद हरियाणा सरकार द्वारा गठित विशेष जांच टीम का हवाला देते हुए हुड्डा ने कहा कि एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले साल नवंबर में जहरीली शराब पीने के कारण 40 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और राज्य में शराब का बड़ा घोटाला उजागर हुआ था।’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी लेकिन सरकार उसे सार्वजनिक करने को तैयार नहीं है, क्योंकि बड़े नामों का खुलासा हो जाएगा।’’
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