नयी दिल्ली, 2 अप्रैल : सरकार यूपीआई भुगतान प्रणाली के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण और इसकी वित्तीय व्यवहार्यता सुनिश्चित करने के लिए इस तरह के लेनदेन पर 0.3 प्रतिशत एकसमान डिजिटल भुगतान सुविधा शुल्क लगाने पर विचार कर सकती है. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT)-बंबई ने एक अध्ययन में यह सुझाव दिया है. ‘चार्जेस फॉर पीपीआई बेस्ड यूपीआई पेमेंट्स- द डिसेप्शन’ शीर्षक से प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि 0.3 प्रतिशत सुविधा शुल्क से 2023-24 में लगभग 5,000 करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं.
मोबाइल वॉलेट के माध्यम से होने वाले भुगतान पर विनिमय शुल्क लगाने के भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के फैसले के प्रभावों का विश्लेषण करने वाले अध्ययन में कहा गया है कि दुकानदारों को मिलने वाले भुगतान पर कोई शुल्क नहीं लगना चाहिए, चाहे वह सीधे यूपीआई के जरिये आए या प्रीपेड ई-वॉलेट के माध्यम से. एनपीसीआई ने दुकानदारों को यूपीआई के माध्यम से भुगतान करने पर एक अप्रैल, 2023 से भुगतान राशि का 1.1 प्रतिशत का ‘इंटरचार्ज’ शुल्क काटने का प्रावधान शुरू किया है. यह प्रीपेड वॉलेट आधारित यूपीआई लेनदेन पर लागू होगा. यह भी पढ़ें : OpenAI: ओपनएआई ने इटली में यूजर्स के लिए चैटजीपीटी को किया डिसेबल
मौजूदा कानून के तहत कोई बैंक या यूपीआई का परिचालन करने वाला को प्रदाता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से यूपीआई के जरिये भुगतान करने या प्राप्त करने वाले व्यक्ति पर कोई शुल्क नहीं लगा सकता. हालांकि, कई मौकों पर बैंक और प्रणाली प्रदाताओं ने यूपीआई कानून की अपनी सुविधा से व्याख्या करने का प्रयास किया है.