नयी दिल्ली, 29 जनवरी सरकार अगले वित्त वर्ष में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और वित्तीय संस्थानों से लाभांश के तौर पर लगभग 70,000 करोड़ रुपये प्राप्त करने की उम्मीद कर रही है। चालू वित्त वर्ष में आरबीआई से मिले अच्छे लाभांश के बाद यह उम्मीद की जा रही है।
सूत्रों ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को लोकसभा में पेश किए जाने वाले अंतरिम बजट में वित्तीय संस्थानों से लाभांश प्राप्त करने का जो लक्ष्य रखेंगी, वह चालू वित्त वर्ष के लिए अनुमानित 48,000 करोड़ रुपये से कहीं अधिक होगा।
चालू वित्त वर्ष का अनुमान पहले ही बजट लक्ष्य से अधिक हो चुका है। इसका कारण आरबीआई का 87,416 करोड़ रुपये का लाभांश है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों का तिमाही वित्तीय परिणाम अच्छा रहा है। ऐसे में आने वाले वर्ष में उनकी तरफ से लाभांश भुगतान चालू वित्त वर्ष की तुलना में अधिक होगा।
सूत्रों ने कहा कि इसीलिए, वित्त वर्ष 2024-25 में आरबीआई और वित्तीय संस्थानों से लाभांश भुगतान के रूप में लगभग 70,000 करोड़ रुपये प्राप्त करने की उम्मीद करना उपयुक्त है।
सरकार ने 2023-24 में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लाभांश के रूप में 48,000 करोड़ रुपये प्राप्त करने का अनुमान लगाया था, जो इससे पूर्व वित्त वर्ष के मुकाबले 17 प्रतिशत अधिक है।
हालांकि, रिजर्व बैंक ने 2022-23 के लिए केंद्र सरकार को अधिशेष के रूप में 87,416 करोड़ रुपये हस्तांतरित किये। इसके साथ सरकार को इस मद में प्राप्ति लक्ष्य से कहीं अधिक रही।
आरबीआई ने 2023-24 के दौरान केंद्र सरकार को 87,416.22 करोड़ रुपये का अधिशेष हस्तांतरित किया। यह पिछले वर्ष हस्तांतरित राशि 30,307.45 करोड़ रुपये और रिजर्व बैंक, राष्ट्रीयकृत बैंक और वित्तीय संस्थानों के लाभांश/अधिशेष हस्तांतरण के तहत बजट में निर्धारित लक्ष्य (48,000 करोड़ रुपये) दोनों से अधिक है।
पिछले वित्त वर्ष में सरकार ने आरबीआई और सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों से 40,953 करोड़ रुपये जुटाए थे।
बैंकों और वित्तीय संस्थानों से अधिक लाभांश के साथ उच्च कर संग्रह से राजकोषीय स्थिति को सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी।
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