नयी दिल्ली, 26 अगस्त भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के अधिग्रहण की दौड़ में शामिल निवेश कोषों के साथ वैश्विक तेल कंपनियां हाथ मिला सकती हैं। एक दस्तावेज से यह बात सामने आई है।
अरबपति कारोबारी अनिल अग्रवाल के वेदांत समूह के साथ ही दो अमेरिकी कोष - अपोलो ग्लोबल और आई स्क्वेयर्ड कैपिटल - ने पिछले साल भारत की तीसरी सबसे बड़ी तेल रिफाइनर और दूसरी सबसे बड़ी ईंधन खुदरा बिक्रेता में सरकार की पूरी 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए प्रारंभिक बोली प्रस्तुत की थी।
इस सौदे के अगले चरण के तहत ‘‘बीपीसीएल विनिवेश पर संक्षिप्त टिप्पणी’’ में कहा गया है कि लेनदेन सलाहकार और परिसंपत्ति मूल्यांकनकर्ता को एक स्थापना रिपोर्ट देनी, बोलीदाता को कंपनी की जरूरी अनिवार्यताएं पूरी करनी होंगी और बिक्री-खरीद समझौते को अंतिम रूप देना होगा।
रिपोर्ट में अधिक विवरण दिए बिना कहा गया कि इसके अलावा ‘‘चूंकि संघ का गठन किया जा रहा है’’, इसलिए बोलीदाताओं के लिए ‘‘सुरक्षा मंजूरी’’ की जरूरत हो सकती है।
बोली प्रक्रिया में अन्य इच्छुक पक्षों के शामिल होने और बोलीदाताओं में से किसी एक के साथ एक संघ बनाने की इजाजत है, जिसने अभिरुचि पत्र (ईओआई) प्रस्तुत किया हो।
भारतीय अरबपति कारोबारी मुकेश अंबानी और गौतम अडाणी के साथ ही रॉयल डच शेल, बीपी और एक्सॉन जैसी वैश्विक तेल कंपनियों ने 16 नवंबर 2020 की समय सीमा तक बीपीसीएल के अधिग्रहण के लिए ईओआई जमा नहीं किया।
हालांकि, मध्य पूर्व के कई शीर्ष तेल उत्पादकों और रूस के रोस्नेफ्ट के बारे में कहा गया था कि वे बीपीसीएल में रुचि रखते हैं, लेकिन उन्होंने कोई बोली जमा नहीं की थी।
उद्योग के सूत्रों ने कहा कि यह संभव है कि वैश्विक तेल क्षेत्र की कोई बड़ी कंपनी या मध्य पूर्व के तेल उत्पादक पहले से ही दौड़ में शामिल निवेश फंड के साथ मिलकर काम कर रहे हों।
एक सूत्र ने कहा कि अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और अदाणी समूह के इस दौड़ में शामिल होने की संभावना नहीं है।
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