नयी दिल्ली, 12 जनवरी : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने वैश्विक स्तर पर कर्ज से जुड़ी असुरक्षा की स्थिति का जिक्र करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि यह प्रणालीगत वैश्विक कर्ज संकट का खतरा पैदा कर रही है, ऐसे में विकास के सामाजिक आयाम और बढ़ते वित्तीय अंतर के विषय पर ध्यान देने की जरूरत है जिसका सामना कई देश कर रहे हैं. सीतारमण ने ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते कहा, ‘‘ भारत दशकों से विकास के पथ पर हमारी सहयात्री रहे वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) के दृष्टिकोण को रखने को उत्सुक है. ’’ उन्होंने कहा कि दशकों से भारत अनुदान, रिण सुविधा, तकनीकी परामर्श, भारतीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) के माध्यम से अनेक क्षेत्रों में विकास में सहयोग के प्रयासों में सबसे आगे रहा है.
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘ हमें ऐसे तंत्र तलाशना चाहिए ताकि बहुतस्तरीय विकास बैंकों द्वारा प्रदान किया जा रहा समर्थन देश की विशिष्ठ जरूरतों के अनुरूप एवं अनुपूरक हों.’’ सीतारमण ने कहा कि वैश्विक स्तर पर कर्ज से जुड़ी असुरक्षा की स्थिति बढ़ रही है और प्रणालीगत वैश्विक कर्ज संकट का खतरा पैदा कर रही है. उन्होंने कहा कि यह बाह्य कर्ज की अदायगी और खाद्य एवं ईंधन जैसी आवश्यक घरेलू जरूरतों को पूरा करने के बीच फंसी अर्थव्यवस्थाओं से स्पष्ट होती है. वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘ ऐसे में विकास के सामाजिक आयाम और बढ़ते वित्तीय अंतर के विषय पर ध्यान देने की जरूरत है जिसका सामना कई देश टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने में कर रहे हैं.’’ ग्लोबल साउथ क्षेत्र के साथ भारत के सहयोग को रेखांकित करते हुए सीतारमण ने कहा कि हमारी विकास सहयोग परियोजनाएं वैश्विक दक्षिण के अन्य देशों के साथ ज्ञान साझा करने एवं क्षमता निर्माण के लिये आदर्श बन रही हैं. यह भी पढ़ें : लघु, मध्यम उपक्रमों को समर्थन मिले तो लुधियाना चीन को टक्कर देने में सक्षम : राहुल
वित्त मंत्री सीतारमण ने इस शिखर सम्मेलन में ‘‘लोक केंद्रित विकास का वित्त पोषण’ सत्र को संबोधित करते हुए यह बात कही.
इस सत्र में मुख्य रूप से यह चर्चा हो रही है कि विकास का वित्त-पोषण कैसे किया जाए, कैसे कर्ज के जाल से बचें तथा अपनी विकास सहायता का ढांचा किस प्रकार से तैयार करें और वित्तीय समावेशन कैसे सुनिश्चित करें. भारत 12-13 जनवरी को दो दिवसीय ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है, जो यूक्रेन संघर्ष के कारण उत्पन्न खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा सहित विभिन्न वैश्विक चुनौतियों के मद्देनजर विकासशील देशों को अपनी चिंताएं साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा.
‘ग्लोबल साउथ’ व्यापक रूप से एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के विकासशील देशों एवं उभरती अर्थव्यवस्थाओं को कहा जाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए खाद्य, ईंधन और उर्वरकों की बढ़ती कीमतों, कोविड-19 वैश्विक महामारी के आर्थिक प्रभावों के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न प्राकृतिक आपदाओं पर भी चिंता व्यक्त की.