गुजरात के जीबीआरसी ने कोविड-19 के तीन नए म्यूटेशन लगाया पता
किसी भी कोशिका या वायरस की अनुवांशिक संरचना में बदलाव म्यूटेशन कहलाता है। कोशिका की अनुवांशिक संचना डीएनए से बनती है और इसमें होने वाला बदलाव स्थायी तो नहीं होता लेकिन अपना प्रभाव डालता है। कहा जा सकता है कि म्यूटेशन दूसरी परिस्थितियों में सक्रिय रहने के लिए कोशिका में होने वाला बदलाव है।
अहमदाबाद, 17 अप्रैल सरकारी गुजरात जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान केन्द्र (जीबीआरसी) के शोधकर्ताओं ने कोविड-19 के पूरे जीनोम क्रम और तीन नए म्यूटेशन का पता लगाया है।
किसी भी कोशिका या वायरस की अनुवांशिक संरचना में बदलाव म्यूटेशन कहलाता है। कोशिका की अनुवांशिक संचना डीएनए से बनती है और इसमें होने वाला बदलाव स्थायी तो नहीं होता लेकिन अपना प्रभाव डालता है। कहा जा सकता है कि म्यूटेशन दूसरी परिस्थितियों में सक्रिय रहने के लिए कोशिका में होने वाला बदलाव है।
अधिकारियों ने पत्रकारों से कहा कि कोविड-19 के पूरे जीनोम क्रम और तीन नए म्यूटेशन का पता लगने से, दुनियाभर में फैले घातक कोरोना वायरस की दवाई या टीका बनाने में मदद मिल सकती है।
उन्होंने बताया कि जीनोम क्रम के बारे में पता लगाने वाला पुणे के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान के बाद गांधीनगर स्थित जीबीआरसी दूसरा भारतीय संस्थान है।
राज्य की प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) जयंती रवि ने कहा, ‘‘ गुजरात का सरकारी संस्थान जीबीआरसी पुणे के एनआईवी के बाद कोविड-19 के जीनोम क्रम का पता लगाने वाला दूसरा संस्थान बन गया है। देश के कई अनुसंधान संस्थान इसका पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।’’’
उन्होंने कहा कि यह सफलता गुजरात के लिए गर्व की बात है।
उन्होंने कहा, ‘‘ कोविड-19 के जीनोम क्रम का सबसे पहले पता 10 जनवरी को बीजिंग स्थित चीनी रोग नियंत्रण और रोकथाम केन्द्र ने लगाया था। चीन ने इसे सार्वजनिक किया था। इसके बाद जीबीआरसी ने यहां इसका पता लगाया। इसके जीनोम क्रम में कुल नौ म्यूटेशनों का पता चला है।’’
रवि ने कहा, ‘‘ इनमें से छह म्यूटेशन का पता दुनिया के बाकी अनुसंधान संस्थान पहले ही लगा चुके हैं। जीबीआरसी द्वारा पता लगाए गए नौ में से तीन म्यूटेशन नए हैं और वे यह पता लगाने में मदद करेंगे कि वायरस हमारी परिस्थितियों में कैसे बदल रहा है।’’
जीबीआरसी के निदेशक चैतन्य जोशी ने कहा कि वायरस दूसरी परिस्थितियों में सक्रिय रहने के लिए खुद को बदलता है।
उन्होंने कहा, ‘‘ हमने यहां कोविड-19 के एक मरीज के नमूने लिए और उस पर काम करना शुरू किया। वायरस ने परिस्थितियों के अनुकूल जीवित रहने के लिए खुद को परिवर्तित किया। वायरस बड़ी तेजी से बदल रहा है।’’
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