नयी दिल्ली, तीन सितंबर केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को सुरंग निर्माण और कार्य की गुणवत्ता में सुधार के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने वाले संयुक्त उद्यमों में विदेशी भागीदारों या कंपनियों को 51 प्रतिशत हिस्सेदारी देने का समर्थन किया।
गडकरी ने कहा कि संयुक्त उद्यम में विदेशी भागीदारों को बहुलांश हिस्सेदारी दिया जाना यह सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि केवल गंभीर और प्रौद्योगिकी रूप से सक्षम कंपनियां ही सुरंग परियोजनाओं के लिए बोली लगाएं।
गडकरी ने मजाकिया लहजे में कहा कि कुछ सुरंग परियोजनाओं में यूरोपीय कंपनियां उन भारतीय फर्मों को भी साझेदार बनाती हैं जिनके पास खानपान सेवाएं या ब्यूटी पार्लर हैं।
परिवहन मंत्री ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘मैं गंभीरता से यह महसूस करता हूं कि डीपीआर बनाने और सुरंगों के निर्माण के लिए बने संयुक्त उद्यम में विदेशी साझेदारों के पास 51 प्रतिशत हिस्सेदारी होनी चाहिए। भारतीय कंपनियों के लिए 49 प्रतिशत हिस्सेदारी छोड़ देनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि काम ठीक से हो।’’
इसके साथ ही गडकरी ने कहा कि परियोजनाओं के लिए प्रौद्योगिकी और वित्तीय मापदंड उदार होने चाहिए लेकिन ऐसा गुणवत्ता की कीमत पर नहीं हो।
उन्होंने कहा, ‘मुझे शायद ‘दोषी’ शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए लेकिन मैं यह करूंगा। डीपीआर निर्माता सुरंगों के निर्माण के दौरान निगरानी की कमी के ‘दोषी’ हैं जिसके कारण अक्सर भूस्खलन होता है जो भारत में सालाना बढ़ रहा है।’’
गडकरी ने कहा कि उत्तराखंड और अन्य हिमालयी क्षेत्रों में लगातार भूस्खलन के मुद्दों से निपटने के लिए एक स्थायी समाधान खोजने की जरूरत है।
इसके साथ ही गडकरी ने लॉजिस्टिक लागत करने की जरूरत पर भी बल दिया। उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम अपनी लॉजिस्टिक लागत को नौ प्रतिशत तक कम कर सकते हैं तो हमारे निर्यात में 1.5 गुना वृद्धि होगी।’’
आर्थिक शोध संस्थान नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) का अनुमान है कि भारत में लॉजिस्टिक लागत 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 7.8 प्रतिशत से 8.9 प्रतिशत के बीच थी।
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