मुंबई बम धमाकों में पिछले 29 साल से वांटेड चार आरोपी गुजरात में गिरफ्तार
आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने 1993 में मुंबई में हुये श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट के मामले में वांछित चार लोगों को गिरफ्तार किया है, जो 29 साल से फरार चल रहे थे. अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी.
अहमदाबाद, 17 मई गुजरात: आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने 1993 में मुंबई में हुये श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट के मामले में वांछित चार लोगों को गिरफ्तार किया है, जो 29 साल से फरार चल रहे थे. अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी. अधिकारियों ने बताया कि चारों आरोपियों की पहचान अबु बकर, सैयद कुरैशी, मोहम्मद शोएब कुरैशी और मोहम्मद यूसुफ इस्माइल के रूप में हुई है . उन्होंने कहा कि ये सभी मुंबई के रहने वाले हैं और मामले में 29 साल से वांछित थे .
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अमित विश्वकर्मा ने संवाददाताओं को बताया कि उन्हें 12 मई को एक गुप्त सूचना के आधार पर अहमदाबाद के सरदारनगर इलाके से पकड़ा गया. एक अन्य अधिकारी ने बताया कि फिलहाल, उनके खिलाफ देश छोड़ने के लिये फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कथित रूप से पासपोर्ट लेने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है और बाद में बम विस्फोटों के मामले में उन लोगों को केंद्रीय जांच ब्यूरो के हवाले कर दिया जायेगा .
विश्वकर्मा ने बताया कि, ‘‘अपनी वास्तविक पहचान छिपाने के लिए, उन्होंने जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल कर पासपोर्ट तैयार किए थे. इन विस्फोटों के मामले की जांच कर रहे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अनुरोध पर इंटरपोल ने उनके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया था.’’
उन्होंने बताया कि यह अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि वे गुजरात क्यों आये थे ? उन्होंने बताया कि उन चारों को भारतीय दंड संहिता की धारा 466, 468 और 120-बी के अलावा पासपोर्ट अधिनियम के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया है .
पुलिस उप महानिरीक्षक (एटीएस) दीपन भद्रन ने बताया कि 1990 के दशक में ये चारों सोने के एक तस्कर मोहम्मद दोसा के लिये काम करते थे, जो धमाकों के मास्टर माइंड और भगोड़ा आतंकी दाउद इब्राहिम का गुर्गा था .
उन्होंने बताया, ‘‘भारत में आतंकवाद को फैलाने के लिये दोसा ने फरवरी 1993 में चारों को दाउद से मिलने के लिये पश्चिम एशिया के एक मुल्क में भेजा था . दाउद के निर्देश पर चारों हथियारों का प्रशिक्षण लेने के लिये पाकिस्तान गये . पाकिस्तान की (जासूसी एजेंसी) आईएसआई ने उन्हें परिष्कृत विस्फोटक उपकरण बनाने और उसका इस्तेमाल करने का भी प्रशिक्षण दिया .’’
अधिकारी ने बताया कि ये चारों भी उस साजिश का हिस्सा थे, जिसे दाउद और अन्य ने मुंबई में सिलसिलेवार बम विस्फोट करने के लिये रचा था . भद्रन ने बताया कि श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों के बाद उनलोगों ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर पासपोर्ट प्राप्त किया और वे पश्चिम एशिया के अलग-अलग देशों में भाग गये .
उन्होंने बताया कि विशेष टाडा अदालत ने उन्हें ‘भगोड़ा’ करार दिया . आतंकवाद एवं विध्वंसक गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (टाडा) अदालत इस मामले की सुनवाई कर रही थी . भद्रन कहा, ‘‘यह जांच का विषय है कि वे भारत कब लौटे हैं और गुजरात में वे क्या कर रहे थे . फर्जीवाड़ा मामले में उनकी रिमांड समाप्त होने के बाद हम उन्हें विस्फोटों के सिलसिले में सीबीआई के हवाले कर देंगे .’’
उन्होंने कहा कि अबू बकर भी विस्फोटों के बाद हथियारों की एक खेप को समुद्र में फेंकने के मामले में शामिल था. उल्लेखनीय है कि 12 मार्च 1993 को मुंबई में हुये सिलसिलेवार बम धमाकों में 257 लोगों की मौत हो गयी थी, जबकि 700 से अधिक लोग घायल हुए थे. मुंबई की विशेष टाडा अदालत ने मामले में 100 दोषियों को सजा सुनायी थी . मामले का मुख्य साजिशकर्ता दाउद इब्राहिम और टाइगर मेमन अब भी फरार है .
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