भुवनेश्वर, 22 सितंबर सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट (सीएसई) की महानिदेशक सुनीता नारायण ने बृहस्पतिवार को कहा कि जंगलों को जनजातीय समुदायों के प्राकृतिक आवास के रूप में देखना होगा और वन संरक्षण पर स्थानीय आजीविका के एक साधन के तौर पर विचार किया जाना चाहिए।
नारायण ने कहा कि वन संरक्षण को जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं के संदर्भ में देखना होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे सामने जलवायु परिवर्तन का मुद्दा है। वृक्ष जलवायु परिवर्तन का समाधान खोजने के बहुत महत्वपूर्ण कारक हैं और प्रदूषण को कम करने में वनों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है।’’
भुवनेश्वर में सीएसई द्वारा ‘द फाइट ओवर ए राइट’ विषय पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए नारायण ने कहा कि जब प्राकृतिक आपदाओं की बात आती है तो देश गहरे संकट में होता है और शहरों में हरित क्षेत्रों को योजनाबद्ध तरीके से विकसित किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि सरकार नये कानून लाती है, तो आदिवासियों को यह क्या मुआवजा दे रही है? हमारी नीति में कहीं न कहीं कमी है और हमें इस बारे में बात करनी होगी। वन आजीविका का प्राकृतिक स्रोत हैं।’’
नारायण ने कहा कि जंगलों को जीवाश्म ईंधन से होने वाले उत्सर्जन को सोखने और स्थानीय आजीविका का सृजन करने के स्रोत के रूप में देखा जाना चाहिए।
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