चंडीगढ़, 11 दिसंबर कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन में ‘‘जीत’’ के बाद वापस अपने घरों की ओर लौटते वक्त पंजाब और हरियाणा के किसानों का कई जगहों पर मिठाइयां खिलाकर और फूलों की माला पहनाकर गर्मजोशी से स्वागत किया गया।
दिल्ली-करनाल-अंबाला और दिल्ली-हिसार राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ ही अन्य राज्य राजमार्गों पर कई स्थानों पर गांववासियों के साथ ही किसानों के परिवारों ने ट्रैक्टरों में आ रहे किसानों को माला पहनाकर; लड्डू, बर्फी और अन्य मिठाइयां खिलाकर उनका स्वागत किया।
किसानों के आंदोलन का समर्थन करने वाले गांववासी और अन्य लोग उनका स्वागत करने के लिए राजमार्गों के किनारे एकत्रित हुए और उन्होंने किसानों पर फूल बरसाए।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के परियोजना निदेशक (हरियाणा) वीरेंद्र शर्मा ने कहा कि चंडीगढ़ और दिल्ली के बीच स्थित सभी चार टोल प्लाजा दो से तीन दिनों के भीतर काम करना शुरू कर देंगे।
किसानों ने टोल प्लाजा पर 'धरना' दिया था, जिससे उन्हें एक साल से अधिक समय तक काम नहीं करने दिया गया था।
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल का वापस लौटने पर शंभू बॉर्डर पर जोरदार स्वागत किया गया और उन्होंने किसानों को उनकी ‘‘जीत’’ के लिए बधाई दी।
उन्होंने शंभू बॉर्डर पर संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘मैं सभी पंजाबियों और देशवासियों को बधाई देता हूं। एक बड़ी जंग में जीत हुई है...उन लोगों का भी शुक्रिया जिन्होंने आंदोलन का समर्थन किया। हमने ‘मोर्चा’ मार लिया है और केंद्र सरकार को झुकने के लिए मजबूर होना पड़ा।’’
राजेवाल ने यह भी कहा कि वह केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ाई में किसानों के ‘‘बलिदानों’’ को याद करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। उन्होंने कहा कि 700 से अधिक किसानों ने जान गंवा दी।
अंबाला भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष मलकीत सिंह ने कहा कि पंजाब-हरियाणा सीमा, शंभू के पास पहुंचने पर एक छोटे विमान ने किसानों के काफिले पर फूलों की बरसात की । उन्होंने बताया कि एक प्रवासी भारतीय को विमान की व्यवस्था करने के लिये कहा गया था ।
दिल्ली-हरियाणा सीमा पर सिंघू बॉर्डर के समीप किसानों का स्वागत करने के लिए चंडीगढ़ से एक परिवार पहुंचा था।
किसानों के आंदोलन का समर्थन करने वाले चंडीगढ़ के एक निवासी ने कहा, ‘‘हम बहुत खुश हैं और हमारी खुशी शब्दों में बयां नहीं की जा सकती। यह जीत किसानों की ‘तपस्या’ का परिणाम है जिन्होंने कठोर मौसम समेत सभी तरह की परेशानियों का सामना किया।’’
ट्रैक्टर ट्रॉलियों और अन्य वाहनों के हुजूम की वजह से दिल्ली-अंबाला और दिल्ली-रोहतक राष्ट्रीय राजमार्गों पर कई स्थानों पर वाहनों की रफ्तार धीमी पड़ गई।
हरियाणा पुलिस ने राज्य में राष्ट्रीय राजमार्गों पर यातायात की परेशानी मुक्त आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए व्यवस्था की थी और यातायात प्रबंधन के लिए अतिरिक्त कर्मियों को तैनात किया गया था।
खुश दिख रहे किसानों खासतौर से उत्साहित युवाओं और महिलाओं ने पंजाब और हरियाणा में अपने घर लौटते हुए ‘‘ढोल’’ की धुनों पर ‘‘भांगड़ा’’ किया।
पंजाब के समीप खनौरी में गांववासी आंदोलनकारियों का स्वागत करने के लिए बड़ी संख्या में एकत्रित हो गए और उन्होंने पटाखे भी जलाए।
लुधियाना के एक किसान ने कहा, ‘‘हम विजयी होकर लौट रहे हैं।’’
इस बीच, पानीपत में, मुस्लिम समुदाय के सदस्यों ने उन किसानों के लिए भोजन की व्यवस्था की, जो दिल्ली की सीमाओं से अपने गंतव्य की ओर जा रहे थे।
राष्ट्रीय राजमार्गों पर विभिन्न टोल प्लाजा और अन्य स्थानों पर किसानों के स्वागत के लिए तैयारियां की गयीं। सिंघू बॉर्डर पर ‘अरदास’ करने के बाद सुबह ट्रैक्टर का बड़ा काफिला पंजाब और हरियाणा लौटना शुरू हो गया।
किसान केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल तक चले आंदोलन के समाप्त होने के बाद घर लौट रहे हैं। केंद्र ने इन कानूनों को निरस्त करने का फैसला किया है।
फूलों और रंगबिरंगी रोशनी से सजे और राष्ट्रध्वज तथा किसान संघों के ध्वज लहराते हुए चल रहे ट्रैक्टरों में पंजाबी जीत और देशभक्ति गीत बज रहे थे। साथ ही उनमें सवार लोग ‘‘बोले सो निहाल, सत श्री अकाल’’ के उद्घोष कर रहे थे।
ट्रैक्टर ट्रॉली में खाट, गद्दे, बर्तन और अन्य सामान लदे हुए थे जो किसान आंदोलन के दौरान अपने साथ लेकर आए थे। पंजाब और हरियाणा के किसानों ने एक-दूसरे को गले भी लगाया और ‘पंजाब और हरियाणा भाईचारा जिंदाबाद’ के नारे लगाए।
किसानों ने कहा कि प्रदर्शनों के कारण दोनों राज्यों के किसानों के बीच भाईचारा तथा जुड़ाव और मजबूत हो गया है। पंजाब के कई किसानों ने आंदोलन के दौरान उनका समर्थन करने के लिए हरियाणा के लोगों का आभार जताया।
महिलाओं समेत कुछ किसान शंभू बॉर्डर पर ‘भांगड़ा’ कर रहे थे। करनाल में बस्तारा टोल प्लाजा के समीप तथा अंबाला के समीप शंभू बॉर्डर पर घर लौट रहे किसानों के लिए ‘लंगर’ की व्यवस्था की गयी।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर शंभू अंतरराज्यीय सीमा वह स्थान है जहां हरियाणा पुलिस ने पिछले साल 26 नवंबर को किसानों को राष्ट्रीय राजधानी की ओर बढ़ने से रोकने के लिए उन पर पानी की बौछारें की थीं और आंसू गैस के गोले दागे थे।
इस बीच, हरियाणा के हिसार जिले में एक ट्रक और ट्रैक्टर ट्रॉली के बीच टक्कर में ट्रॉली में सवार कम से कम दो किसानों की शनिवार को मौत हो गयी । किसान आंदोलन की समाप्ति की घोषणा के बाद दिल्ली की टीकरी सीमा से ये लोग वापस अपने घर लौट रहे थे। पुलिस ने बताया कि इस हादसे में एक किसान गंभीर रूप से घायल हो गया। उन्होंने बताया कि यह घटना हिसार जिले के धंदूर गांव में हुयी ।
किसानों के 40 संगठनों के एक नेतृत्व कर्ता संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने बृहस्पतिवार को तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को स्थगित करने का फैसला किया था और घोषणा की थी कि किसान 11 दिसंबर को दिल्ली की सीमाओं पर विरोध स्थलों से घर वापस जाएंगे।
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