रायपुर, 21 अक्टूबर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुक्रवार को कहा कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्चतम न्यायालय में एक मामले की सुनवाई के दौरान राजनीतिक उद्देश्यों के लिए उन पर ‘झूठे और शरारत पूर्ण’ आरोप लगाए।
राज्य में ‘नागरिक आपूर्ति निगम’ (नान) घोटाले से संबंधित धनशोधन के मामले को छत्तीसगढ़ के बाहर स्थानांतरित करने का अनुरोध कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय के समक्ष दावा किया था कि कुछ आरोपियों को जमानत मिलने से दो दिन पहले एक न्यायाधीश ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। मामले को स्थानांतरित करने के अनुरोध के अलावा, ईडी ने धन शोधन मामले में कुछ हाई-प्रोफाइल आरोपियों को दी गई अग्रिम जमानत को रद्द करने का भी अनुरोध किया है।
ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आरोपियों और ‘‘उच्च पदस्थ व्यक्तियों’’ के बीच ‘‘मिलीभगत’’ का आरोप लगाते हुए कहा था कि यदि राज्य में सुनवाई होती है तो मामले में स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई होना असंभव है।
मेहता ने उच्चतम न्यायालय की पीठ से कहा था, ‘‘जमानत से दो दिन पहले मुख्यमंत्री से विद्वान न्यायाधीश की मुलाकात-अपने आप में काफी है। मुझे और कुछ नहीं कहना। मैं यह नहीं कहना चाहता था। अगर यह आपकी अंतरात्मा को नहीं झकझोर सकता, तो कुछ भी नहीं हो सकता।’’
वहीं छत्तीसगढ़ सरकार ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय से कहा था कि मुख्यमंत्री कभी उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश से नहीं मिले।
बघेल ने शीर्ष विधि अधिकारी के दावों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शुक्रवार को ट्वीट किया, ‘‘यह अत्यंत दुर्भाग्यजनक है कि सॉलिसिटर जनरल जैसे सर्वोच्च संवैधानिक पदों पर बैठा व्यक्ति राजनीतिक उद्देश्यों से झूठे एवं शरारत पूर्ण आरोप लगा रहा है। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैंने कभी किसी न्यायाधीश से मिलकर किसी भी अभियुक्त का किसी भी प्रकार का पक्ष लेने का अनुरोध नहीं किया।’’
मुख्यमंत्री ने ट्वीट में लिखा है, ‘‘यह मेरी राजनीतिक छवि खराब करने एवं न्यायपालिक को दबाव में लाने का षड्यंत्र है जिसका समुचित प्रतिकार किया जाएगा।’’
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