Facebook ने तालिबान का समर्थन करने वाली सामग्री प्रतिबंधित की: रिपोर्ट
सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक ने कहा है कि उसने मंच पर तालिबान और उसका समर्थन करने वाली सभी सामग्री को प्रतिबंधित कर दिया है, क्योंकि वह समूह को आतंकवादी संगठन मानता है. कंपनी का कहना है कि उसके पास बागी समूह से संबंधित सामग्री पर नजर रखने और उसे हटाने के लिए अफगान विशेषज्ञों की एक समर्पित टीम है.
लंदन, 17 अगस्त : सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक (Facebook) ने कहा है कि उसने मंच पर तालिबान और उसका समर्थन करने वाली सभी सामग्री को प्रतिबंधित कर दिया है, क्योंकि वह समूह को आतंकवादी संगठन मानता है. कंपनी का कहना है कि उसके पास बागी समूह से संबंधित सामग्री पर नजर रखने और उसे हटाने के लिए अफगान विशेषज्ञों की एक समर्पित टीम है. वर्षों से तालिबान अपने संदेशों का प्रसार करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करता आया है. फेसबुक के प्रवक्ता ने बीबीसी को बताया, “ तालिबान अमेरिकी कानून के तहत आतंकवादी संगठन के तौर पर प्रतिबंधित है और हमने खतरनाक संगठन नीतियों के तहत अपनी सेवाओं से उसे प्रतिबंधित कर दिया है.
इसका मतलब है कि तालिबान द्वारा या तालिबान की तरफ से बने अकाउंटों को हटाया जाएगा और उनकी तारीफ, समर्थन और प्रतिनिधित्व करने वालों को प्रतिबंधित किया जाएगा.” प्रवक्ता ने बताया, “ हमारे पास अफगानिस्तान के विशेषज्ञों की समर्पित टीम है जो दरी और पश्तो भाषी हैं और उन्हें स्थानीय संदर्भ की जानकारी है, वे मंच पर उभरते मुद्दों की पहचान करने और हमें सतर्क करने में हमारी मदद कर रहे हैं.” सोशल मीडिया कंपनी ने कहा कि यह राष्ट्रीय सरकारों की मान्यता के बारे में निर्णय नहीं लेता बल्कि इसके बजाय "अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्राधिकार" का अनुसरण करता है. यह भी पढ़ें : WhatsApp Voice Call Recording: इन 10 स्टेप्स को फॉलो कर आप भी कर सकते हैं व्हाट्सएप कॉल की वॉइस रिकॉर्डिंग
फेसबुक ने इस बात पर प्रकाश डाला कि नीति उसके सभी मंचों पर लागू होती है, जिसमें इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप शामिल हैं. हालांकि, ऐसी खबरें हैं कि तालिबान संवाद करने के लिए व्हाट्सऐप का उपयोग कर रहा है. फेसबुक ने बीबीसी से कहा कि अगर उसे ऐप पर समूह से जुड़े अकाउंट मिलते हैं तो वह कार्रवाई करेगा. अफगानिस्तान में चल रही जंग रविवार को निर्णायक हो गई जब तालिबान ने राजधानी काबुल को घेर लिया और देश के राष्ट्रपति अशरफ गनी को मुल्क से भागना पड़ा, जिसके बाद अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया.