देश की खबरें | आबकारी नीति: धन शोधन मामले में केजरीवाल की याचिका पर अदालत का सुनवाई की तारीख आगे बढ़ाने से इनकार

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल की उस याचिका पर सुनवाई की तारीख आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया, जिसमें उन्होंने धन शोधन के एक मामले में उनके खिलाफ दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी थी।

नयी दिल्ली, छह दिसंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल की उस याचिका पर सुनवाई की तारीख आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया, जिसमें उन्होंने धन शोधन के एक मामले में उनके खिलाफ दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी थी।

न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने कहा, ‘‘मामले की सुनवाई उसी तारीख (20 दिसंबर) को होगी। मेरे पास सुनवाई के लिए और भी मामले हैं।’’

केजरीवाल ने अपनी याचिका के संबंध में सुनवाई की तारीख 20 दिसंबर से आगे बढ़ाने का अनुरोध किया था।

अदालत द्वारा सुनवाई की तारीख बदलने से इनकार करने के बाद केजरीवाल के वकील ने अनुरोध किया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को याचिका पर उसके जवाब की प्रति अग्रिम रूप से उपलब्ध कराने का निर्देश दिया जाए।

अदालत ने ईडी के वकील से कहा, ‘‘आपने जो भी मामला दर्ज किया है, उसे उन्हें भी दे दीजिए।’’

उच्च न्यायालय ने 21 नवंबर को धन शोधन मामले में केजरीवाल के खिलाफ निचली अदालत की कार्यवाही पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

उच्च न्यायालय ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री की याचिका पर ईडी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।

केजरीवाल ने निचली अदालत के आदेश को खारिज करने का अनुरोध किया और दलील दी कि विशेष अदालत ने उनके खिलाफ अभियोजन के लिए किसी मंजूरी के बिना आरोपपत्र पर संज्ञान लिया जबकि इसके लिए मंजूरी आवश्यक थी क्योंकि कथित अपराध के समय वह लोक सेवक थे।

हालांकि, ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केजरीवाल पर मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी मिल गई है और वह एक हलफनामा दायर करेंगे।

आरोपपत्र पर संज्ञान लेते हुए निचली अदालत के नौ जुलाई के आदेश को रद्द करने के अनुरोध के अलावा केजरीवाल ने मामले में सभी कार्यवाही रद्द करने का भी अनुरोध किया।

याचिका में कहा गया है कि केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाना कानून की नजर में गलत है, क्योंकि यह धारा 197 दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत अनिवार्य मंजूरी प्राप्त किए बिना किया गया।

सीआरपीसी की धारा 197 (1) के अनुसार, जब कोई व्यक्ति जो न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट या लोक सेवक के पद पर है या था, जिसे सरकार की मंजूरी के बिना उसके पद से हटाया नहीं जा सकता, वह किसी अपराध का आरोपी है तो कोई भी अदालत पूर्व मंजूरी के बिना ऐसे अपराध का संज्ञान नहीं लेगी।

उच्च न्यायालय ने 12 नवंबर को केजरीवाल की एक अन्य याचिका पर ईडी से जवाब मांगा था, जिसमें उन्होंने धन शोधन मामले में एजेंसी की शिकायत पर उन्हें जारी समन को चुनौती दी थी।

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