देश की खबरें | जीटीबी अस्पताल के बाहर मुठभेड़, जान बचाने के लिए इधर-उधर भागे लोग

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. जीटीबी अस्पताल के बाहर दुकान लगाने वाले एक व्यक्ति ने बृहस्पतिवार को पुलिस और बदमाशों के बीच हुई मुठभेड़ के बारे में बताते हुए कहा कि जब मैंने गोलियों को आवाज सुनी तो मैं डर गया और अपनी दुकान में छिपकर बैठ गया। वहां से मैंने लोगों को जान बचाने के लिये इधर-उधर भागते हुए देखा।

नयी दिल्ली, 25 मार्च जीटीबी अस्पताल के बाहर दुकान लगाने वाले एक व्यक्ति ने बृहस्पतिवार को पुलिस और बदमाशों के बीच हुई मुठभेड़ के बारे में बताते हुए कहा कि जब मैंने गोलियों को आवाज सुनी तो मैं डर गया और अपनी दुकान में छिपकर बैठ गया। वहां से मैंने लोगों को जान बचाने के लिये इधर-उधर भागते हुए देखा।

अधिकारियों ने बताया कि दोपहर के समय बदमाशों से मुठभेड़ के दौरान पुलिस हिरासत से एक अपराधी फरार हो गया।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि मुठभेड़ दोपहर करीब साढ़े 12 बजे हुई जब दिल्ली पुलिस की तीसरी बटालियन गैंगस्टर कुलदीप उर्फ फज्जा को ओपीडी में इलाज के लिए अस्पताल लेकर आ रही थी।

उन्होंने बताया, ‘‘अस्पताल इमारत के बाहर पांच लोग एक स्कॉर्पियो कार और मोटरसाइकिल पर आए और उन्होंने आरोपी को पुलिस हिरासत से छुड़ाने के मकसद से पुलिस की तीसरी बटालियन पर गोलियां चलाईं।’’

पुलिस ने बताया कि मुठभेड़ में एक हमलावर मौके पर ही मारा गया और एक घायल हो गया, जबकि एक को पुलिस ने पकड़ लिया। कुलदीप समेत बाकी के आरोपी फरार हो गए।

दुकानदार ने कहा, ''पहले तो मैं समझ ही नहीं पाया कि क्या हो रहा है। बाद में मैंने गोलियों की आवाज सुनी। मैं डर गया और अपनी दुकान के अंदर बैठ गया। लोग अपनी जान बचाने के लिये इधर-उधर भाग रहे थे, लेकिन मैं अपनी दुकान नहीं छोड़ पाया। जब मुठभेड़ खत्म हो गई तो मैं लोगों को बात करते हुए सुना कि आरोपियों ने अपने साथी को छुड़ाने के लिये मिर्ची के पाउडर का इस्तेमाल किया।''

प्रत्यक्षदर्शी ने कहा कि गोलीबारी के बाद लोगों के बीच दहशत पसरी हुई थी।

अस्पताल के निकट ही खाने के दुकान चलाने वाले एक और व्यक्ति ने अपना नाम नहीं बताते हुए कहा कि आरोपी गेट नंबर सात से फरार हुए ।

उसने कहा, ''घटना के समय मैं अपनी दुकान पर था। मैंने अस्पताल भवन के पास से गोलियां चलने का आवाज सुनी। पुलिस से बचकर भाग रहे कुछ लोग अस्पताल के गेट नंबर सात की ओर गए, जो उस समय खुला हुआ था।''

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