नयी दिल्ली, पांच अप्रैल उच्चतम न्यायालय ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में महिला अधिकार कार्यकर्ता शोमा कांति सेन को शुक्रवार को जमानत दे दी।
अंग्रेजी साहित्य की प्रोफेसर सेन महिला अधिकार कार्यकर्ता हैं, उन्हें छह जून 2018 को गिरफ्तार किया गया था।
न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने आदेश सुनाया। साथ ही पीठ ने निर्देश दिया कि सेन विशेष अदालत की अनुमति के बिना महाराष्ट्र नहीं छोड़ेंगी।
पीठ ने कहा कि सेन राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण के जांच अधिकारी को बताएंगी कि वह जमानत अवधि में किस स्थान पर रहेंगी।
पीठ ने यह भी कहा कि सेन अपने मेबाइल फोन का जीपीएस हर वक्त चालू रखेंगी।
यह मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में आयोजित एल्गार परिषद के एक कार्यक्रम में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है। पुलिस का दावा है कि इस कार्यक्रम के अगले दिन शहर के बाहरी इलाके में स्थित कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क गई थी।
पुणे पुलिस का दावा है कि इस कार्यक्रम को माओवादियों का समर्थन प्राप्त था।
मामले में 12 से अधिक कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों को आरोपी बनाया गया है। इसकी जांच का जिम्मा एनआईए संभाल रही है।
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