नयी दिल्ली, 23 अगस्त उच्चतम न्यायालय ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में महिला अधिकार कार्यकर्ता शोमा कांति सेन की स्वास्थ्य आधार पर अंतरिम जमानत का अनुरोध करने संबंधी एक अर्जी पर राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) और महाराष्ट्र सरकार से बुधवार को जवाब मांगा।
न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने एनआईए और राज्य सरकार को अंग्रेजी साहित्य की प्रोफसर सेन की एक अर्जी पर नोटिस जारी किये हैं।
सेन को मामले में छह जून 2018 को गिरफ्तार किया गया था।
बंबई उच्च न्यायालय के 17 जनवरी के आदेश को चुनौती देने वाली सेन की अर्जी पर शीर्ष न्यायालय सुनवाई कर रहा है। उच्च न्यायालय ने सेन को जमानत के लिए विशेष एनआईए अदालत का रुख करने का निर्देश दिया था।
यह मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे शहर में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में कथित भड़काऊ भाषण देने से संबद्ध है। पुलिस का दावा है कि इस आयोजन के अगले दिन शहर के बाहरी इलाके में स्थित कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के समीप हिंसा हुई थी।
पुणे पुलिस ने यह दावा किया था कि कार्यक्रम माओवादियों द्वारा समर्थित था।
बुधवार को सुनवाई के दौरान, सेन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अंतरिम जमानत के लिए अर्जी दायर की है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अंतरिम जमानत का अनुरोध करते हुए एक अर्जी दायर की है। उनका स्वास्थ्य बिगड़ने का उल्लेख किया गया है।’’ उन्होंने कहा कि सेन 65 वर्ष की हैं और पांच वर्षों से न्यायिक हिरासत में हैं।
पीठ ने ग्रोवर से सवाल किया कि क्या सेन का मामला दो अन्य सह-आरोपियों के समान है जिन्हें शीर्ष न्यायालय द्वारा पूर्व में जमानत दी गई है।
न्यायमूर्ति बोस की अध्यक्षता वाली पीठ ने 28 जुलाई को मामले में वर्णन गोंजाल्विस और अरूण फरेरा को जमानत देते हुए कहा था कि वे पांच वर्षों से हिरासत में हैं।
ग्रोवर ने कहा कि सेन पांच वर्षों से न्यायिक हिरासत में हैं और सुनवाई अब तक शुरू नहीं हुई है।
पीठ ने मामले की सुनवाई चार अक्टूबर के लिए निर्धारित करते हुए कहा, ‘‘...अंतरिम जमानत के लिए नोटिस जारी किया जाए।’’
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)