जरुरी जानकारी | धीमी सरकारी खरीद के कारण सरसों तेल-तिलहन में गिरावट
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. सरकारी खरीद कम रहने से शुक्रवार को सरसों तेल तिलहन तथा शिकागो एक्सचेंज की गिरावट की वजह से सोयाबीन तेल की कीमतों में नरमी आई।
नयी दिल्ली, 12 अप्रैल सरकारी खरीद कम रहने से शुक्रवार को सरसों तेल तिलहन तथा शिकागो एक्सचेंज की गिरावट की वजह से सोयाबीन तेल की कीमतों में नरमी आई।
कम कारोबार के बीच कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन, मूंगफली तेल तिलहन और बिनौला तेल के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए।
मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट रही। जबकि शिकॉगो एक्सचेंज बृहस्पतिवार की रात लगभग दो प्रतिशत गिरावट के साथ बंद हुआ था और फिलहाल यहां मामूली सुधार है।
बाजार सूत्रों ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरकारी खरीद का स्तर अभी कम है जिसकी वजह से किसान पूरी मात्रा में अपनी ऊपज मंडियों में नहीं ला रहे हैं। बुधवार को सवा नौ लाख बोरी की आवक तथा बृहस्पतिवार को सवा सात लाख बोरी की आवक के बाद आज मंडियों में लगभग 8.25 लाख बोरी सरसों की आवक हुई। यानी सरसों के आवक में उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हो रही है।
उन्होंने कहा कि कम आवक की वजह है कि सरकारी खरीद का स्तर अभी बढ़ा नहीं है। दूसरा किसानों को मालूम है कि इस सरकारी खरीद के तहत सरकार 22-24 प्रतिशत सरसों ऊपज ही खरीद पायेगी। इसके अलावा देशी सरसों, सोयाबीन, सूरजमुखी, मूंगफली, बिनौला जैसे तेल के खपने के लायक बाजार परिस्थितियां नहीं हैं।
सूत्रों ने कहा कि अगर सरसों का उदाहरण देखें, तो इसका तिलहन 5,650 रुपये क्विन्टल एमएसपी के हिसाब से इसके तेल का थोक दाम लगभग 130 रुपये किलो बैठता है। वहीं दूसरी ओर आयातित सोयाबीन रिफाइंड तेल का थोक दाम 84-85 रुपये लीटर और पामोलीन का थोक दाम लगभग 89 रुपये लीटर बैठता है।
इस स्थिति में जब तक देशी तेल तिलहनों का बाजार विकसित करने की ओर ध्यान नहीं दिया जायेगा, वह खपेगा नहीं। यही हाल देशी मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी और बिनौले का भी है। देश में तेल तिलहन उत्पादन बढ़ाने का मतलब है देशी तेल तिलहन का बाजार विकसित करना और उसी के अनुरूप आयात नीति और शुल्कों का निर्धारण करना है।
सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट रहने के बीच पाम, पामोलीन तेल के दाम अपरिवर्तित रहे। वैसे देखा जाये तो पाम, पामोलीन का स्टॉक काफी कम है और कारोबार एकदम ढीला है। ऊंचे भाव पर मूंगफली के लिवाल कम हैं और इसे पेराई करने में काफी घाटा है। बेपड़ता भाव बैठने के बीच मूंगफली तेल तिलहन और बिनौला तेल के भाव भी पूर्वस्तर पर बंद हुए। किसानों की कम बिकवाली की वजह से सोयाबीन तिलहन में सुधार है। सोयाबीन फसल के मामले में जो अनुभव सामने आया है उससे आगे सोयाबीन के साथ साथ मूंगफली की खेती के प्रभावित होने की आशंका है।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 5,335-5,375 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली - 6,105-6,380 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 14,750 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,240-2,505 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 10,050 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,715-1,815 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,715 -1,830 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,400 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,050 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,700 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 9,400 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,675 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,600 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 9,600 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना - 4,910-4,930 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,710-4,750 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,075 रुपये प्रति क्विंटल।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)