देश की खबरें | पिता के निधन के बावजूद एशियाई चैम्पियन पूजा रानी स्ट्रैंड्जा मेमोरियल टूर्नामेंट के लिए तैयार
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. महज पांच दिनों के अंदर अपने भाई की शादी की खुशी से लेकर पिता के निधन के गम का सामना करने वाली दो बार की एशियाई चैम्पियन मुक्केबाज पूजा रानी सत्र की पहली बड़ी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट ‘स्ट्रैंड्जा मेमोरियल’ की तैयारियों के लिए यहां राष्ट्रीय शिविर में पहुंच गई है।
नयी दिल्ली, सात फरवरी महज पांच दिनों के अंदर अपने भाई की शादी की खुशी से लेकर पिता के निधन के गम का सामना करने वाली दो बार की एशियाई चैम्पियन मुक्केबाज पूजा रानी सत्र की पहली बड़ी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट ‘स्ट्रैंड्जा मेमोरियल’ की तैयारियों के लिए यहां राष्ट्रीय शिविर में पहुंच गई है।
तोक्यो ओलंपिक में क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय करने वाली 81 किग्रा भार वर्ग की यह मुक्केबाज 18 फरवरी से बुल्गारिया के सोफिया में खेली जाने वाली प्रतियोगिता के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं कल ही राष्ट्रीय शिविर में वापस आयी हूं।’’
उनकी आवाज में सिर से पिता के साये के उठने का दर्द महसूस किया जा सकता था। उन्हें हालांकि जिंदगी में उतार-चढ़ाव और मुश्किल परिस्थितियों का सामना करने की आदत है, जिसमें करियर को प्रभावित करने वाली कंधे की चोट से उबर कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शानदार वापसी शामिल है।
उनके पिता राजवीर सिंह हरियाणा पुलिस के सेवानिवृत इंस्पेक्टर (निरीक्षक) थे। वह पूजा के लिए सबसे बड़े प्रेरणा के स्रोत थे।
पूजा ने कहा, ‘‘ वह मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा थे। मैं उनके बहुत करीब थी। यह पिछले महीने मेरे भाई की शादी के पांच दिन बाद की बात है। मैं शिविर में वापस आ गयी थी और अचानक सुबह लगभग तीन बजे (एक फरवरी को) मुझे बताया गया कि दिल का दौरा पड़ने से वह चल बसे। मैं इसके बाद तुरंत घर पहुंची।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ जब मैं अपने भाई की शादी के बाद शिविर में वापस आ रही थी, तो मुझे विदा करते समय उन्होंने विजय चिन्ह बना कर दिखाया था, मैं इसे अपने दिमाग से नहीं निकाल सकती। मैं इसके बारे में सोचती रहती हूं। यह ऐसा है जैसे मैं उस पल से बाहर नहीं निकल पा रही हूं।’’
यह खिलाड़ी हालांकि इस बात को समझती है कि जिंदगी का काम आगे बढ़ते रहना है। एशियाई खेलों (2014) की कांस्य पदक विजेता पूजा को उम्मीद है कि वह स्ट्रैंड्जा मेमोरियल में अपने प्रदर्शन से दिवंगत पिता को गौरवान्वित कर सकेंगी।
उन्होंने कहा, ‘‘चाहे मैं जीतूं या हार का सामना करना पड़े, वह हमेशा मुझे खुश रखने की कोशिश करते थे। जब मैंने मुक्केबाजी शुरू की थी तब वह इसके पक्ष में नहीं थे लेकिन मेरे खेल को देखने के बाद उन्होंने हमेशा मेरा साथ दिया। मुझे उम्मीद है कि मैं उन्हें गौरवान्वित कर सकता हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ इन सब वजहों से मुझे तैयारी का पूरा समय नहीं मिला लेकिन मैं स्ट्रैंड्जा में अच्छा प्रदर्शन करने की कोशिश करूंगी।’’
इस टूर्नामेंट के जरिये यूरोपीय सत्र की शुरुआत होगी इसमें पुरुष और महिला दोनों मुक्केबाज शामिल होंगे। भारतीय महिला टीम में मौजूदा राष्ट्रीय चैंपियन खिलाड़ियों को मौका मिला है।
पुरुष वर्ग में तोक्यो ओलंपिक का हिस्सा रहे खिलाड़ी इस टूर्नामेंट में भाग नहीं ले रहे है।
पुरुषों टीम में भी मुख्य रूप से राष्ट्रीय चैंपियन खिलाड़ियों को शामिल किया गया है। तोक्यो ओलंपिक में भाग लेने वाले पांच मुक्केबाजों को वापसी के लिए अभी इंतजार करना होगा।
अमित पंघाल (51 किग्रा), विकास कृष्ण (69 किग्रा), मनीष कौशिक (63.5 किग्रा), आशीष चौधरी (75 किग्रा), और सतीश कुमार (91 किग्रा से अधिक) पिछले तीन सप्ताह से पटियाला में राष्ट्रीय शिविर में प्रशिक्षण ले रहे हैं। ये सभी मुक्केबाज अभी प्रतिस्पर्धा के लिए जरूरी फिटनेस हासिल नहीं कर सके हैं।
भारतीय मुक्केबाजी संघ (बीएफआई) के एक सूत्र ने पीटीआई को बताया, ‘‘उन्हें इसे छोड़ना होगा। अभी उनके फिटनेस का स्तर प्रतियोगिता के लायक नहीं है। उन्होंने तोक्यो के बाद प्रतिस्पर्धा नहीं की और एक महीने से भी कम समय पहले फिर से प्रशिक्षण शुरू किया है।’’
कुछ सप्ताह पहले अपने टखने में चोट का सामना करने वाले शिव थापा (63.5 किग्रा), कंधे की चोट से जूझ रहे संजीत (91 किग्रा) और विश्व चैंपियनशिप के कांस्य विजेता आकाश (54 किग्रा) इस प्रतियोगिता से बाहर होने वाले राष्ट्रीय चैंपियनों में शामिल हैं।
टीम 17 फरवरी को यहां से रवाना होगी। इससे पहले सभी को कोविड-19 जांच से गुजरना होगा।
भारतीय टीम:
पुरुष: गोविंद (48 किग्रा), अंकित (51 किग्रा), राजपिंदर सिंह (54 किग्रा), रोहित मोर (57 किग्रा), वरिंदर सिंह (60 किग्रा), दलबीर सिंह (63.5 किग्रा), आकाश (67 किग्रा), रोहित टोकस (71 किग्रा), सुमित (75 किग्रा) , सचिन कुमार (81 किग्रा), लक्ष्य चाहर (86 किग्रा), गौरव चौहान (91 किग्रा), नरेंद्र (91 किग्रा से अधिक)।
महिला: नीतू (48 किग्रा), अनामिका (50 किग्रा), निकहत जरीन (52 किग्रा), शिक्षा (54 किग्रा)। सोनिया लाठेर (57 किग्रा), मीना रानी (60 किग्रा), परवीन (63 किग्रा), अंजलि तुशीर (66 किग्रा), अरुंधति चौधरी (71 किग्रा), स्वीटी (75 किग्रा), पूजा रानी (81 किग्रा), नंदिनी (81 किग्रा से अधिक)।
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