शिलांग, 14 मार्च : मेघालय उच्च न्यायालय (Meghalaya High Court) ने राज्य सरकार को कोयले के अवैध खनन और परिवहन पर रोक लगाने के लिए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की 10 कंपनियों को तैनात करने का आदेश दिया है. उच्च न्यायालय ने कोयले के अवैध खनन और परिवहन की जांच के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की 160 कंपनियों की तैनाती के राज्य सरकार के प्रस्ताव पर नाखुशी जाहिर की और इसे "बहुत ज्यादा" करार दिया. अदालत ने कहा कि इतने सशस्त्र बलों की तैनाती से राज्य सरकार को 300 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च उठाना होगा. मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, "राज्य में कुल क्षेत्रफल को देखते हुए... सीआईएसएफ की 10 कंपनियां वाहनों की जांच करने और कोयले के अवैध परिवहन को पूरी तरह से रोकने के लिए पर्याप्त होनी चाहिए."
आदेश में कहा गया है, "जब सीआईएसएफ वाहनों की जांच में लगा हुआ है, तब इसमें कोई संदेह नहीं है कि वह प्रतिबंधित सामान की भी जांच करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि माल वाहन मेघालय में राजकीय राजमार्गों और राष्ट्रीय राजमार्गों पर चलने के लिए भार सीमा का पालन करें." राज्य में अवैध खनन गतिविधियों की जांच के लिए गठित एक समिति के प्रमुख पूर्व न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) न्यायमूर्ति बी पी काटकेय ने 11वीं अंतरिम रिपोर्ट दाखिल की. रिपोर्ट के आधार पर, अदालत ने उन प्रमुख क्षेत्रों पर न्यायमूर्ति काटकेय के परामर्श से 10 कंपनियों की तैनाती का निर्देश दिया, जहां काम करने की आवश्यकता है. यह भी पढ़ें : Uttar Pradesh: मुरादाबाद में मौलाना तौकीर रजा खान पर आपत्तिजनक टिप्पणी का मामला दर्ज
अदालत ने भारत के डिप्टी सॉलिसिटर जनरल डॉ मोजिका को राज्य में कोयले के अवैध परिवहन की जांच के उद्देश्य से तैनात की जाने वाली सीआईएसएफ की 10 कंपनियों के लिए हर तरह की जरूरत और औपचारिकताओं पर गौर करने का भी निर्देश दिया. इस मामले में अगली सुनवाई 20 मार्च को होगी. इस बीच, एक अन्य जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, उच्च न्यायालय की पीठ ने राज्य सरकार को अवैध कोक संयंत्रों के 'असली दोषियों' के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया. पीठ ने कहा, "राज्य से यह अपेक्षा की जाती है कि वह उनके (अवैध कोक संयंत्रों के संचालकों) के खिलाफ कानून के अनुसार उचित कार्रवाई करे."