ताजा खबरें | पुराने सौर पैनलों के निस्तारण के लिए राष्ट्रीय सौर अपशिष्ट प्रबंधन निकाय बनाने की मांग उठी रास में

नयी दिल्ली, तीन अप्रैल राज्यसभा में विभिन्न दलों के सदस्यों ने बृहस्पतिवार को सौर पैनलों की आयु समाप्त होने के बाद उनमें पाई जाने वाली धातुओं के निस्तारण, पंजाब के सीमाई गांवों का समुचित विकास न होने, मादक द्रव्यों के बढ़ते जाल से लेकर स्कूलों में प्रॉक्सी शिक्षक जैसे मुद्दे उठाए तथा सरकार से इनके समाधान की मांग की।

उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गोविंदभाई लालजीभाई ढोलकिया ने कहा कि वैश्विक मानचित्र में भारत की स्थिति ऐसी है जहां सौर ऊर्जा की कमी नहीं बल्कि बहुतायत है।

उन्होंने कहा कि भारत का लक्ष्य 2030 तक 225 गीगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन करना है तथा जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को देखते हुए यह जरूरी भी है।

ढोलकिया ने कहा कि सौर पैनलों की औसत आयु 20 से 30 साल होती है जिसके बाद उनका निस्तारण करना होता है। उन्होंने कहा कि इन पैनलों में तांबा, सीसा, एल्युमिनियम और कैडमिनियम सहित अन्य आदि धातुएं होती हैं जो पर्यावरण के लिए नुकसानदायक होते हैं।

उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में सौर ऊर्जा और सौर पैनलों की बढ़ती जरूरत तथा पैनलों के निस्तारण को ध्यान में रखते हुए सरकार को राष्ट्रीय सौर अपशिष्ट प्रबंधन निकाय बनाने पर विचार करना चाहिए।

आईयूएमएल के अब्दुल वहाब ने मादक पदार्थ के बढ़ते जाल का मुद्दा उठाते हुए कहा कि दस दस साल के बच्चे भी अब इस बुराई की गिरफ्त में आ रहे हैं और यह समस्या तेजी से ग्रामीण इलाकों में भी फैल रही है। उन्होंने कहा कि मादक पदार्थ हर जगह उपलब्ध हो जाते हैं और महानगरों में तो यह आम है।

उन्होंने कहा कि दो दिन पहले ही भारतीय नौसेना के एक प्रमुख युद्धपोत ने पश्चिमी हिंद महासागर में 2,500 किलोग्राम से अधिक मादक पदार्थ जब्त किया है।

वहाब ने कहा ‘‘यह चिंताजनक है और युवा भारत में इसका बढ़ता जाल केवल नुकसान करेगा। सरकार को इस दिशा में कठोर कदम उठाने चाहिए।’’

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) की डॉ फौजिया खान ने स्कूलों में प्रॉक्सी टीचर का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि कभी शिक्षा विद्या दान थी लेकिन आज यह कारोबार बन गई है और इसका खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि कई स्कूलों में शिक्षक विभिन्न कारणों का हवाला देकर लंबे समय तक अनुपस्थित रहते हैं और वेतन लेते रहते हैं।

उन्होंने कहा ‘‘प्रॉक्सी टीचर की मदद से काम चलता रहता है। ऐसा नहीं होना चाहिए।’’

भाजपा के सतनाम सिंह संधु ने कहा कि पंजाब के सीमावर्ती गांव विकास की दौड़ में पिछड़ गए हैं जबकि ये गांव बेहद महत्वपूर्ण होते हैं।

उन्होंने कहा कि सीमावर्ती गांव देश के अंदर के हिस्से के लिए एक बफर जोन का काम करते हैं और साथ ही इनकी भूमिका एक प्रहरी की भी होती है।

उन्होंने कहा कि सरकार को एक समर्पित सीमा सुरक्षा निकाय बनाना चाहिए और सीमाई जिलों में कारोबारी निकायों के केंद्र खोलने चाहिए ताकि वहां रहने वाले युवाओं का कौशल विकास हो सके और उन्हें रोजगार भी मिले।

शून्यकाल के दौरान ही माकपा के ए ए रहीम ने छोटे और मंझोले उद्योगों का मुद्दा उठाते हुए आरोप लगाया कि सरकार की गैर जिम्मेदाराना नीतियों ने ऐसे कई उद्योगों को तबाह कर दिया है।

उन्होंने सरकार से मांग की कि इन उद्योगों को जीएसई मुक्त किया जाना चाहिए और इन्हें एक विशेष पैकेज दिया जाना चाहिए।

शून्यकाल के दौरान द्रमुक के एन आर इलांगो, भाजपा के सदानंद महालू शेट तानावड़े और इसी पार्टी के समिक भट्टाचार्य ने भी लोक महत्व से जुड़े अपने अपने मुद्दे उठाए।

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