जरुरी जानकारी | जी एंटरटेनमेंट ऑडिट मामले में चूक को लेकर डेलॉयट हैसकिन्स, दो लेखा परीक्षकों पर जुर्माना

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नयी दिल्ली, 24 दिसंबर राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) ने जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लि. की ऑडिट में खामियों के लिए डेलॉयट हैस्किन्स एंड सेल्स एलएलपी पर दो करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। साथ ही दो चार्टर्ड अकाउंटेंट पर भी जुर्माना और पाबंदी लगायी गयी है।

वित्त वर्ष 2018-19 और 2019-20 के ऑडिट से जुड़े मामले में चार्टर्ड अकाउटेंट एबी जानी पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाने के साथ पांच साल के लिए कोई भी ऑडिट कार्य करने पर रोक लगायी गयी है। वहीं राकेश शर्मा पर पांच लाख रुपये का जुर्माना और तीन साल की पाबंदी लगायी गयी है।

वित्त वर्ष 2018-19 और 2019- 20 के लिए कंपनी के ऑडिट को लेकर जानी भागीदार और शर्मा गुणवत्ता नियंत्रण समीक्षा भागीदार थे।

नियामक ने स्वत: संज्ञान लेते हुए निर्धारित अवधि के लिए जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (जील) के ऑडिट फाइल की जांच की थी। इसका मकसद यह आकलन करना था कि लेखा परीक्षक ने कोई पेशेवर गड़बड़ी तो नहीं की है।

एनएफआरए ने ऑडिट फाइल और ऑडिट कंपनी के सवालों के साथ-साथ अन्य रिकॉर्ड की प्रतिक्रियाओं की जांच करने के बाद कहा कि प्रथम दृष्टया लेखा परीक्षकों ने कंपनी अधिनियम के साथ-साथ ऑडिटिंग पर मानकों (एसए) के तहत अपने पेशेवर कर्तव्यों का पालन नहीं किया है।

वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण ने 23 दिसंबर को अपने 30 पृष्ठ के आदेश में कहा कि लेखा परीक्षक मानकों को पूरा करने में विफल रहे और कुछ महत्वपूर्ण संबंधित पार्टी लेनदेन के संबंध में अधिनियम का उल्लंघन किया।

जानी और शर्मा पर जुर्माने के अलावा डेलॉयट हास्किन्स एंड सेल्स पर दो करोड़ रुपये का मौद्रिक जुर्माना लगाया है।

इसके साथ, दोनों को अलग-अलग अवधि के लिए लेखा परीक्षक या आंतरिक लेखा परीक्षक के रूप में नियुक्त होने या किसी कंपनी के वित्तीय विवरणों या आंतरिक ऑडिट के संबंध में कोई ऑडिट कार्य करने पर पाबंदी लगा दी गयी है।

जानी और शर्मा पर प्रतिबंध क्रमश: पांच और तीन साल के लिए लगाया गया है।

जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज के चेयरमैन के साथ एस्सेल ग्रुप ऑफ कंपनीज के प्रवर्तक ने सितंबर 2018 में यस बैंक को एक पत्र जारी किया। इसमें प्रवर्तक समूह की कंपनी एस्सेल ग्रीन मोबिलिटी लि. को यस बैंक के कर्ज की गारंटी के रूप में जी एंटरटेनमेंट इंटरप्राइजेज की 200 करोड़ रुपये की सावधि जमा राशि की प्रतिबद्धता जतायी गयी थी।

बैंक ने सात प्रवर्तक समूह कंपनियों को देय ऋण राशि के निपटान के लिए जुलाई, 2019 में सावधि जमा को भुना लिया।

नियामक ने कहा कि सावधि जमा और उसके रखरखाव के साथ बैंक के उसके भुनाये जाने के बारे में निदेशक मंडल या शेयरधारकों से मंजूरी नहीं ली गयी थी। वैधानिक लेखा परीक्षक इसकी पहचान करने और रिपोर्ट करने में विफल रहे।

एनएफआरए के अनुसार, इसके अलावा, इसकी जांच से पता चला है कि ऑडिटर मामले में बेहद लापरवाह रहे और धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग का मूल्यांकन करने में विफल रहे।

मामले में ऑडिट कंपनी और दोनों लेखा परीक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। उनके जवाबों पर विचार करने के बाद, नियामक ने ऑडिट कंपनी और दोनों लेखा परीक्षकों को ‘पेशेवर गड़बड़ी’ का दोषी पाया।

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