देश की खबरें | दिल्ली की वायु गुणवत्ता लगातार पांचवें दिन गंभीर श्रेणी में, जल्द राहत मिलने के आसार नहीं
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली में सोमवार को धूमकोहरा छाए रहने से शहर के कई हिस्सों में दृश्यता घटकर केवल 400 मीटर रह गयी और वायु गुणवत्ता लगातार पांचवें दिन भी ‘गंभीर’ श्रेणी में बनी हुई है।
नयी दिल्ली, नौ नवंबर दिल्ली में सोमवार को धूमकोहरा छाए रहने से शहर के कई हिस्सों में दृश्यता घटकर केवल 400 मीटर रह गयी और वायु गुणवत्ता लगातार पांचवें दिन भी ‘गंभीर’ श्रेणी में बनी हुई है।
सरकारी एजेंसियों और विशेषज्ञों ने कहा कि हवा की गति धीमी रहने और पराली जलने के प्रभावों की वजह से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में बनी हुई है और पराली जलाने की घटनाएं नहीं रूकने तक स्थिति में जल्द सुधार के आसार नहीं हैं।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के पर्यावरण अनुसंधान केंद्र के प्रमुख वी के सोनी ने बताया कि दिल्ली में आने वाले दिनों में वायु की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार की संभावना नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर दिल्ली में दिवाली में होने वाले प्रदूषण को नहीं जोड़ा जाए तो इस बार दिल्ली में वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में होगी लेकिन अगर लोग पटाखे फोड़ते हैं तो प्रदूषण का स्तर गंभीर से ‘बेहद गंभीर’ (आपात) वाली श्रेणी में पहुंच जाएगा।''
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 9-10 नवंबर मध्यरात्रि से लेकर 30 नवंबर मध्यरात्रि तक सभी प्रकार के पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा दिया है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल तीन नवंबर के बाद से शहर में सबसे ज्यादा वायु गुणवत्ता सूचकांक 477 दर्ज किया गया। पिछले साल तीन नवंबर को सूचकांक 494 था। इससे पहले रविवार को औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 416 दर्ज किया गया, शनिवार को 427, शुक्रवार को 406 और बृहस्पतिवार को 450 दर्ज किया गया था।
दिल्ली के पड़ोसी शहरों फरीदाबाद में 456, गाजियाबाद में 482, नोएडा में 477 ग्रेटर नोएडा में 478, गुरुग्राम में 482 दर्ज किया गया। एक्यूआई में 0-50 को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच 'मध्यम', 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बेहद खराब' और 401 से 500 के बीच 'गंभीर' श्रेणी में माना जाता है।
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार शाम चार बजे दिल्ली-एनसीआर में पीएम10 का स्तर 609 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा दर्ज किया गया। पिछले साल 15 नवंबर के बाद से यह सबसे ज्यादा है। पिछले साल 15 नवंबर को 637 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया था।
भारत में 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से नीचे पीएम 10 का स्तर सुरक्षित माना जाता है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत काम करने वाली संस्था ‘सफर’ के अनुसार हवा की गति मंद हो गयी है । हवा की शांत गति और कम तापमान की वजह से प्रदूषक तत्व सतह के करीब रहते हैं ।
सफर ने बताया कि दिल्ली में ‘वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार की संभावना नहीं है’ क्योंकि हवा की गति खास तौर पर रात में अनुकूल नहीं है और पराली जलाया जाना भी बढ़ते प्रदूषण का कारक है।
सफर ने बताया कि पंजाब में पराली जलाए जाने की घटनाओं की संख्या अब भी ज्यादा है, जिससे दिल्ली एनसीआर और उत्तर-पश्चिम भारत की वायु गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है।’’
आईएमडी क्षेत्रीय पूर्वानुमान केंद्र के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि सुबह में हल्के से मध्यम स्तर तक धूमकोहरा छाया था। सफदरजंग वेधशाला में दृश्यता का स्तर घटकर 600 मीटर हो गया था।
उन्होंने कहा कि अगर हवा की गति में उल्लेखनीय तेजी नहीं आती है तो 15 नवंबर तक ऐसी ही स्थिति रहने की संभावना है। उन्होंने कहा, ‘‘बृहस्पतिवार और शुक्रवार को हवा की दिशा में मामूली बदलाव की संभावना है लेकिन इसमें उल्लेखनीय बदलाव नहीं होगा। ’’
निजी मौसम पूर्वानुमाान एजेंसी स्काइमेट वेदर के विशेषज्ञ महेश पालावत ने कहा कि सुबह में घने धूमकोहरे के कारण कुछ स्थानों पर दृश्यता घटकर 400 मीटर रह गयी। दिल्ली-एनसीआर में इस साल भी वायु प्रदूषण की स्थिति पिछले साल की तरह ही रहने की आशंका है ।
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