देश की खबरें | दिल्ली हिंसा : उच्च न्यायालय ने जांच टीमों को निर्देश जारी करने पर पुलिस अधिकारी से सवाल किया
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नयी दिल्ली, 31 जुलाई दिल्ली उच्च न्यायालय ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगों की जांच कर रही पुलिस की टीमों को किसी भी गिरफ्तारी के समय अत्यधिक सावधानी और एहतियात बरतने के संबंध में आदेश जारी करने के लिए विशेष आयुक्त से शुक्रवार को सवाल पूछा।
दिल्ली में फरवरी में हिंसा के दौरान मारे गए दो पीड़ितों के परिवारों की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह सवाल किया। याचिका में आरोप लगाया गया है कि दंगा मामलों की जांच कर रही टीमों के प्रमुखों को वरिष्ठ अधिकारी के आदेश से गलत संदेश गया है ।
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न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने वीडियो कॉन्फ्रेंस से हो रही सुनवाई में पेश हुए दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त (अपराध और आर्थिक अपराध शाखा) प्रवीर रंजन से पूछा कि अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के लिए आठ जुलाई को ऐसा पत्र जारी करने की क्या जरूरत पड़ गयी । यह भी पूछा गया कि क्या पुलिस ने अन्य मामलों में भी ऐसे आदेश जारी किए थे।
इस पर आईपीएस अधिकारी ने जवाब दिया कि सावधानी और एहतियात बरतने के लिए अधिकारियों को इस तरह का आदेश जारी करना एक सामान्य प्रक्रिया है ।
उन्होंने कहा कि उनके संज्ञान में जब भी कोई शिकायत या सूचना आती है तो इस तरह का पत्र भेजा जाता है, जैसा कि आठ जुलाई को किया गया ।
उन्होंने कहा, ‘‘एजेंसी को खास सूचना मिली थी और जब भी ऐसी सूचना मिलती है हम अपने अधिकारियों को सतर्क कर देते हैं कि जांच के दौरान उन्हें अत्यधिक सावधानी और एहतियात बरतना चाहिए।’’
अधिकारी ने कहा कि दंगा मामलों के अलावा उन्होंने पूर्व में कई अन्य मामलों में भी ऐसे आदेश जारी किए थे ।
उन्होंने कहा कि दंगों के सारे मामले आठ जुलाई के पत्र के पहले दर्ज हुए थे इसलिए किसी भी समुदाय के सदस्यों से पक्षपात नहीं हुआ है।
उच्च न्यायालय ने रंजन को दो दिन के भीतर ऐसे पांच आदेश या पत्र मुहरबंद लिफाफे में पेश करने को कहा, जिसे उन्होंने या उनके पूर्ववर्ती अधिकारियों ने ऐसी शिकायत मिलने पर जारी किया था ।
मामले में अब सात अगस्त को आगे की सुनवाई होगी ।
एक खबर के मुताबिक विशेष पुलिस आयुक्त ने आठ जुलाई को एक आदेश जारी किया जिसमें कहा गया कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगा प्रभावित इलाकों से ‘‘कुछ हिंदू युवाओं ’’ की गिरफ्तारी से हिंदू समुदाय के बीच आक्रोश पनप सकता है और गिरफ्तारी करते समय ‘‘सावधानी और एहतियात’’ बरतनी चाहिए । इसी खबर के आधार पर याचिका दायर की गयी।
इसमें दावा किया गया कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के आदेश में कहा है, ‘‘समुदाय के प्रतिनिधि आरोप लगा रहे हैं कि बिना किसी प्रमाण के ये गिरफ्तारियां हुई हैं और कुछ निजी कारणों से ऐसी गिरफ्तारियां की गयी है । ’’
सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने कहा कि इस पर कोई विवाद नहीं है कि वरिष्ठ अधिकारी मौजूदा जमीनी स्थिति के मुताबिक अपने कनिष्ठों का मागदर्शन करते हैं ।
अदालत ने साफ कर दिया कि पुलिस द्वारा पत्र रखे जाने पर इस पर विचार करने के बाद फैसला किया जाएगा कि नोटिस जारी किया जाए या नहीं ।
जब दिल्ली पुलिस के वकील ने दलील दी कि याचिका ‘‘अत्यधिक शरारतपूर्ण (मिसचिवियस)’’ है तो न्यायाधीश ने पलट कर जवाब दिया कि ‘‘विशेष पुलिस आयुक्त का पत्र भी शरारतपूर्ण है।’’
उच्च न्यायालय साहिल परवेज और मोहम्मद सईद सलमानी की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। सांप्रदायिक दंगों के दौरान परवेज के पिता की घर के पास ही गोली मारकर हत्या कर दी गयी। दंगाइयों ने सलमानी की मां की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी।
याचिका में दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त (अपराध और आर्थिक अपराध शाखा) द्वारा आठ जुलाई को जारी आदेश को खारिज करने का अनुरोध किया गया है।
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