नयी दिल्ली, 14 नवंबर एक अदालत ने 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा से संबंधित एक मामले में चार आरोपियों को यह कहते हुये बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष इस मामले को साबित करने में विफल रहा है।
अदालत शाहरूख, आशु, जुबेर और अश्विनी के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रही थी। इन चारों के खिलाफ उस दंगाई भीड़ का हिस्सा होने का आरोप है जिसने ट्रैक्टरों और अन्य वाहनों में आग लगा दी तथा स्कूल बसों में तोड़-फोड़ की थी। यह घटना 25 फरवरी 2020 की है ।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने अपने हालिया फैसले में कहा, ‘‘अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ अपने आरोपों को साबित करने में नाकाम रहा है, जो आपराधिक कानून की कसौटी है। इसलिये सभी चारों आरोपियों को सभी आरोपों से बरी किया जाता है ।’’
अदालत ने यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष ने कहा था कि दो गवाहों ने आरोपियों की पहचान की थी ।
अदालत ने रेखांकित किया कि हालांकि, परीक्षण के दौरान उन गवाहों ने अपनी गवाही में कहा कि उन्होंने कभी किसी दंगाई की पहचान नहीं की और न ही जांच अधिकारियों से आरोपियों के परिचय के बारे में कहा था ।
अदालत ने कहा कि दोनों गवाहों ने इस बात से इनकार किया कि चारों आरोपी दंगों में शामिल थे और इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वे इन लोगों को नहीं जानते हैं ।
इसने कहा कि आरोपियों के खिलाफ आपराधिक रिकार्ड में कुछ नहीं आया है ।
ज्योतिनगर थाने ने चारों आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड विधान के विभिन्न प्रावधानों के तहत आरोप पत्र दायर किया था ।
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