नयी दिल्ली, चार फरवरी दिल्ली की एक अदालत ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगों के दौरान एक व्यक्ति की हत्या करने वाली भीड़ का हिस्सा होने के आरोपी एक शख्स को जमानत देते हुए कहा कि मामले में गवाह का बयान बहुत देरी के बाद दर्ज किया गया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने पिछले साल खजूरी खास इलाके में सांप्रदायिक हिंसा के दौरान बब्बू की हत्या के मामले में कुलदीप सिंह को जमानत दे दी।
अदालत ने आरोपी को 20,000 रुपये की जमानत राशि और इतनी ही राशि का एक मुचलका भी भरने को कहा।
अदालत ने कहा कि यह अभियोजन का मामला है जिसमें गवाह के सामने 25 फरवरी 2020 को यह घटना हुई लेकिन उसने पुलिस को सूचना नहीं दी और 18 मई को जांच अधिकारी के सामने बयान दर्ज कराया।
अदालत ने कहा, ‘‘सीआरपीसी की धारा 161 (पुलिस द्वारा पूछताछ) के तहत 18 मई को जांच अधिकारी के सामने अभियोजन के गवाह मुन्ना का बयान दर्ज हुआ। यानि मामले के 83 दिन बाद बयान दर्ज किया गया। अभियोजन ने उक्त गवाह का बयान दर्ज करने में देरी का कोई कारण नहीं बताया।’’
अदालत ने तीन फरवरी को सुनाए गए आदेश में कहा, ‘‘25 फरवरी 2020 से 18 मई 2020 के बीच गवाह मुन्ना ने ना तो स्थानीय पुलिस ना जांच एजेंसी के सामने शिकायत दी।’’
अदालत ने कहा कि किसी सीसीटीवी फुटेज में भी सिंह का चेहरा नहीं दिखा ना ही किसी प्राथमिकी में उसका नाम था।
अदालत ने कहा कि पिछले साल दिसंबर में मामले में दो सह आरोपियों को जमानत दी गयी थी इसलिए आरोपी भी जमानत पाने का हकदार है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)