देश की खबरें | दिल्ली उच्च न्यायालय ने पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा
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नयी दिल्ली, 28 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2022 सिविल सेवा परीक्षा में धोखाधड़ी करने और गलत तरीके से ओबीसी एवं दिव्यांगता कोटा लाभ लेने के आरोप में बर्खास्त परिवीक्षाधीन प्रशासनिक अधिकारी पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका पर बृहस्पतिवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।
न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह ने कहा कि उन्हें गिरफ्तारी से दिया गया अंतरिम संरक्षण इस बीच जारी रहेगा।
दिल्ली पुलिस और शिकायतकर्ता संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के वकील द्वारा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका का विरोध किए जाने के बाद अदालत ने कहा, ‘‘दोनों पक्षों को सुना गया। आदेश सुरक्षित रखा जाता है।’’
खेडकर पर आरक्षण लाभ प्राप्त करने के लिए यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, 2022 के लिए अपने आवेदन में गलत तरीके से जानकारी प्रस्तुत करने का आरोप है।
उन्होंने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया है।
सुनवाई के दौरान खेडकर के वकील ने कहा कि उनकी मुवक्किल जांच में शामिल होने और सहयोग करने की इच्छुक है। उन्होंने कहा कि क्योंकि सभी सामग्री दस्तावेजी प्रकृति की है, इसलिए उसकी हिरासत की कोई आवश्यकता नहीं है।
हालाँकि, दिल्ली पुलिस के वकील ने दावा किया कि अपराध में अन्य लोगों की संलिप्तता का पता लगाने के लिए खेडकर से हिरासत में पूछताछ आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि खेडकर से संबंधित उपकरणों के रूप में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों पर अभी जांच एजेंसी द्वारा गौर किया जाना बाकी है।
पुलिस के वकील ने परीक्षा संबंधी अलग-अलग प्रयासों के लिए खेडकर के नाम में कथित बदलाव और उनके दिव्यांगता प्रमाणपत्र में विसंगतियों पर चिंता जताई, जबकि यूपीएससी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने का अनुरोध किया।
खेडकर को 12 अगस्त को उच्च न्यायालय ने गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया था। समय-समय पर इस राहत की अवधि बढ़ाई जाती रही।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि खेडकर को कोई भी राहत मामले में ‘‘गहरी साजिश’’ की जांच में बाधा उत्पन्न करेगी, जिसका सार्वजनिक विश्वास और सिविल सेवा परीक्षा की शुचिता पर व्यापक प्रभाव होगा।
वहीं, खेडकर के वकील ने कहा कि उनकी मुवक्किल पर कार्यवाही एक अधिकारी के खिलाफ उसके द्वारा की गई यौन उत्पीड़न की शिकायत के बाद हुई।
यूपीएससी ने कहा कि खेडकर ने आयोग और जनता से धोखाधड़ी की है तथा ‘‘धोखाधड़ी की भयावहता’’ का पता लगाने के लिए उनसे हिरासत में पूछताछ आवश्यक है। इसने कहा कि ऐसी धोखाधड़ी अन्य व्यक्तियों की मदद के बिना नहीं की जा सकती।
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