देश की खबरें | दिल्ली सरकार, उपराज्यपाल को विवादों को हमेशा के लिए सुलझाना चाहिए: उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली, दो जनवरी उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच विवादों को हमेशा के लिए सुलझा लिया जाना चाहिए। सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए बनाई गई एक योजना के लिए धनराशि जारी किए जाने की जानकारी मिलने के बाद न्यायालय ने यह टिप्पणी की।

इस योजना के तहत लोगों को सड़क दुर्घटना के पीड़ितों को बचाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इसके अलावा इस योजना के अंतर्गत सरकार ऐसे पीड़ितों के अस्पताल के बिल का भुगतान भी करती है।

न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने यह टिप्पणी उस समय की जब दिल्ली सरकार ने कहा कि शहर के अस्पतालों में सड़क दुर्घटना पीड़ितों को नि:शुल्क चिकित्सा उपचार की सुविधा देने वाली उसकी योजना ‘‘फरिश्ते दिल्ली के’’ की खातिर धनराशि मंजूर कर दी गई है।

अदालत दिल्ली सरकार की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें लंबित बिलों का भुगतान करने, निजी अस्पतालों को भुगतान जारी करके योजना को फिर से चालू करने और जानबूझकर इसे ‘‘बंद’’ करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का अनुरोध किया गया है।

दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शादान फरासत ने पीठ को दिसंबर 2023 में शीर्ष अदालत द्वारा दिये गये नोटिस के बाद धनराशि जारी करने की जानकारी दी।

पीठ ने कहा कि इस घटनाक्रम के मद्देनजर मामला सुलझ गया है और याचिका का निपटारा कर दिया गया।

दिसंबर 2023 में, दिल्ली सरकार द्वारा इस योजना के लिए धनराशि रोकने का आरोप लगाने के बाद उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) कार्यालय और अन्य से जवाब मांगा था।

बिलों का भुगतान न किए जाने को योजना को ‘‘नुकसान पहुंचाने’’ का प्रयास बताते हुए याचिका में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर निष्क्रियता और कुप्रबंधन का आरोप लगाया गया।

इसमें कहा गया है कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग तथा संबंधित मंत्री द्वारा निजी अस्पतालों के लंबित बिलों के भुगतान के संबंध में बार-बार याद दिलाने तथा निर्देश देने के बावजूद, दोषी अधिकारियों ने न तो बिलों का भुगतान किया और न ही उन निजी अस्पतालों का समय पर भुगतान किया, जो सड़क दुर्घटना के पीड़ितों को नकदी रहित इलाज प्रदान करते हैं।

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