नयी दिल्ली, 24 जुलाई संसद के मानसून सत्र में लगातार तीसरे दिन सोमवार को मणिपुर हिंसा मुद्दे पर गतिरोध बरकरार रहा तथा विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वक्तव्य और चर्चा की मांग करते हुए भारी हंगामा किया, वहीं राज्यसभा में ‘‘अशोभनीय आचरण’’ के लिए आप सदस्य संजय सिंह को वर्तमान सत्र के शेष हिस्से के लिए निलंबित कर दिया गया।
विपक्षी सदस्यों के हंगामे और नारेबाजी के कारण लोकसभा एवं राज्यसभा तीन- तीन बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयीं। दोनों ही सदनों में प्रश्नकाल एवं शून्यकाल हंगामे की भेंट चढ़ गये।
लोकसभा में विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी के बीच ही गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सरकार इस (मणिपुर हिंसा) बेहद संवेदनशील मुद्दे पर चर्चा को तैयार है और विपक्ष से आग्रह है कि वे चर्चा होने दें और सच्चाई सामने आने दें।
शाह ने कहा, ‘‘सदस्यों से आग्रह है कि बहुत संवेदनशील मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष..दोनों ओर के सदस्यों ने चर्चा की मांग की है। मैं सदन में चर्चा के लिए तैयार हूं।’’
उन्होंने हैरत जताते हुए कहा कि उन्हें नहीं मालूम कि विपक्ष संसद में चर्चा क्यों नहीं होने दे रहा है?
गृह मंत्री ने कहा, ‘‘ मेरा विपक्ष के नेताओं से आग्रह है कि चर्चा होने दें और इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर पूरे देश के सामने सच्चाई आने दें।’’
उनके इस वक्तव्य के बाद भी विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा।
इससे पहले सदन की कार्यवाही शुरू होने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने जैसे ही प्रश्नकाल शुरू करने को कहा, वैसे ही कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के सदस्य मणिपुर मुद्दे को उठाने लगे।
इस दौरान लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘‘ हम शुरू से ही कह रहे हैं कि मणिपुर के हालात को देखते हुए प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) स्वत: संज्ञान लेते हुए बयान दें।’’
इस पर लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने कहा, ‘‘आप (चौधरी) जिस विषय को उठा रहे हैं, उस पर सारा सदन चर्चा करना चाहता है। सरकार ने भी कहा है। आप आज 12 बजे से चर्चा शुरू करें।’’
उन्होंने कहा कि इस पर कौन जवाब देगा, यह तय करना आपका (विपक्ष) काम नहीं है और संबंधित विभाग के मंत्री जवाब दे सकते हैं।
विपक्षी सदस्य इससे संतुष्ट नहीं हुए और आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे।
सदन के उपनेता और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘‘ हम पहले ही कह चुके हैं कि चर्चा करने को पूरी तरह से तैयार हैं, लेकिन प्रतिपक्ष इस बात को स्वीकार नहीं कर रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ मणिपुर जैसी घटना पर चर्चा के लिए जिस तरह की गंभीरता होनी चाहिए, विपक्ष उतना गंभीर नहीं है।’’
वहीं, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री इस विषय पर पहले ही अपनी पीड़ा व्यक्त कर चुके हैं, सदन के उपनेता राजनाथ सिंह कह चुके हैं कि सरकार चर्चा को तैयार है।
उन्होंने कहा कि जब सरकार तैयार है तो वे (विपक्ष) चर्चा से क्यों भाग रहे हैं? उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के अनेक सदस्यों ने चर्चा कराने का आग्रह किया है लेकिन विपक्ष चर्चा करना नहीं चाहता।
जोशी ने कहा, ‘‘ इनकी (विपक्ष) मंशा क्या है, उद्देश्य क्या है। इनकी मंशा सिर्फ कार्यवाही बाधित करने की है।’’
विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे और नारेबाजी के बीच लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने प्रश्नकाल को आगे बढ़ाया। इस दौरान वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, जनजातीय कार्य मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के प्रश्न लिये गए। कुछ सदस्यों ने पूरक प्रश्न भी पूछे और संबंधित मंत्रियों ने उनके जवाब दिये।
प्रश्नकाल के दौरान विपक्षी सदस्यों का हंगामा और नारेबाजी जारी रही। बाद में हंगामे के बीच ही विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेन्द्र सिंह ने ‘डीएनए प्रौद्योगिकी (प्रयोग और लागू होना) विनियमन विधेयक 2019’ वापस लेने का प्रस्ताव किया और सदन ने इसे ध्वनिमत से स्वीकार कर लिया। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने ‘राष्ट्रीय परिचर्या और प्रसूति विद्या आयोग विधेयक 2023’ और ‘राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक 2023’ पेश किये।
राज्यसभा में भी मणिपुर मुद्दे पर विपक्ष का हंगामा और नारेबाजी जारी रही। सुबह सदन की कार्यवाही आरंभ होने पर तृणमूल कांग्रेस के नवनिर्वाचित सदस्य साकेत गोखले ने उच्च सदन की सदस्यता की शपथ ली।
शून्यकाल में सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि उन्हें नियम 176 के तहत अल्पकालिक चर्चा के लिए 11 नोटिस मिले हैं। उन्होंने नोटिस देने वाले सभी सदस्यों के नाम के साथ उनके दल और उनके मुद्दों का उल्लेख किया और कहा कि उन पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।
सभापति ने इसके बाद बताया कि उन्हें नियम 267 के तहत कार्यस्थगन प्रस्ताव के जरिए चर्चा कराने के लिए 27 नोटिस मिले हैं।
उन्होंने जैसे ही उल्लेख करना आरंभ किया कि उन्हें मल्लिकार्जुन खरगे (विपक्ष के नेता), जॉन ब्रिटास, ए डी सिंह... की ओर से नोटिस मिले हैं, सदन में तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने आपत्ति जताई और सभापति से पूछा कि ये सदस्य किस दल के हैं, उनका भी जिक्र किया जाना चाहिए।
धनखड़ ने डेरेक से अपनी सीट पर बैठने को कहा लेकिन वह अपनी बात कहते रहे। तृणमूल नेता ने कहा, ‘‘आपने जैसे भाजपा के सदस्यों का नाम लिया, वैसे ही अन्य नोटिस देने वालों के दल का भी उल्लेख कीजिए।’’
सभापति ने तृणमूल नेता की आपत्ति को अधिक तवज्जो नहीं देते हुए कहा, ‘‘श्रीमान डेरेक ओ’ब्रायन, आप आसन को चुनौती दे रहे हैं।’’
प्रश्नकाल के दौरान एक सदस्य ने पूरक प्रश्न पूछा जिसका जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने हंगामे के बीच जवाब भी दिया। इसी बीच आसन के समीप आकर नारेबाजी कर रहे आम आदमी पार्टी के सदस्य संजय सिंह को सभापति ने उनके स्थान पर वापस जाने को कहा। किंतु सिंह ने जब आसन की बात नहीं मानी तो सभापति ने उनके नाम का उल्लेख किया।
आसन द्वारा किसी सदस्य के नाम का उल्लेख किए जाने पर उस सदस्य को तत्काल सदन से बाहर जाना होता है और वह पूरे दिन सदन की कार्यवाही में भाग नहीं ले सकता।
इसके बाद सदन के नेता पीयूष गोयल ने सिंह को मौजूदा सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव करते हुए कहा कि आप सदस्य का आचरण सदन की गरिमा के अनुकूल नहीं है। हंगामे के बीच ही गोयल के प्रस्ताव को सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी।
निलंबित किए जाने के बावजूद आप सदस्य सिंह सदन से बाहर नहीं गये। उपसभापति हरिवंश ने नियमों का हवाला देते हुए उनसे सदन के बाहर चले जाने को कहा। किंतु उनकी इस अपील का कोई असर नहीं हुआ तो तीन बार के स्थगन के बाद उपसभापति ने बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया।
उल्लेखनीय है कि संसद के मानसून सत्र की शुरुआत 20 जुलाई को हुई थी। 20 और 21 जुलाई को, दोनों दिन सदन में मणिपुर हिंसा का मुद्दा छाया रहा और कार्यवाही बाधित हुई।
माधव वैभव
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)