सांस्कृतिक संवेदनशीलता या सेंसरशिप, व्याख्याताओं के लिए चीन के बारे में बात करना मुश्किल
चीन का झंडा (Photo Credits: PTI)

सिडनी, 8 जुलाई : ह्यूमन राइट्स वॉच (Human Rights Watch) ने आस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले चीनी मुख्यभूमि और हांगकांग के छात्रों पर चीन सरकार की निगरानी के बारे में पिछले सप्ताह एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें कहा गया है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की आलोचना करने वाले छात्रों और शिक्षाविदों को बीजिंग के समर्थकों द्वारा धमकाया और परेशान किया जा रहा है. मुख्य भूमि चीन और हांगकांग के 24 लोकतंत्र समर्थक छात्रों और ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों में 22 शिक्षाविदों के साक्षात्कार से पता चला कि ये छात्र और शिक्षाविद ‘‘खतरों, उत्पीड़न और निगरानी से बचने के लिए’’ आत्म-सेंसर का पालन कर रहे थे. जून में सिडनी विश्वविद्यालय में हमारी छोटी सी बंद कमरे की चर्चा में, कला और सामाजिक विज्ञान के व्याख्याताओं ने इसी तरह के अनुभवों के बारे में बात की. जहां तक हांगकांग और ताइवान जैसे वैचारिक मुद्दों का संबंध है, व्याख्याताओं ने बताया कि कैसे अंतरराष्ट्रीय चीनी छात्रों का एक मुखर अल्पसंख्यक वर्ग शिक्षण सामग्री और कक्षा चर्चा पर नजर रख रहा है. इन छात्रों की वजह से इनके सहपाठियों ने चुप्पी ओढ़ ली है.

व्याख्याताओं को चुनौती दी जा रही है कई व्याख्याताओं ने बताया कि उन्हें कुछ छात्रों द्वारा चीन के बारे में कुछ सामग्री और पठन सामग्री पढ़ाने को लेकर चुनौती दी गई थी. एक व्याख्याता ने एक शुरूआती कला वर्ग चर्चा के दौरान विविधता के बारे में बताते हुए इस बात का जिक्र किया कि विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र कहां से आए थे, इसका अलग अलग जिक्र किया. बाद में, व्याख्याता को एक अंतरराष्ट्रीय चीनी छात्र का एक ईमेल प्राप्त हुआ. छात्र ने जोर देकर कहा कि ताइवान और हांगकांग अलग-अलग राज्य संस्थाएं नहीं हैं (जैसा कि जनसांख्यिकी विवरण में बताया गया था) लेकिन चीन का हिस्सा थे, और जानकारी को सही किया जाना चाहिए. एक व्यावसायिक अध्ययन पाठ्यक्रम में एक अन्य व्याख्याता को कोविड-19 महामारी का उल्लेख करते हुए इसे चीनी शहर वुहान से उत्पन्न बताने पर एक अंतरराष्ट्रीय छात्र द्वारा कक्षा में चुनौती दी गई थी. यह भी पढ़ें : राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सोनिया और कई अन्य नेताओं ने वीरभद्र के निधन पर दुख जताया

एक अन्य अवसर पर, एक चीनी मीडिया वर्ग में एक अंतरराष्ट्रीय चीनी छात्र ने अपनी प्रस्तुति के दौरान निर्धारित विषय पर बोलने की बजाय इस बात को घोषणा की तरह कहा कि पश्चिमी मीडिया चीन के खिलाफ पक्षपाती था. व्याख्याता और छात्र आत्म-सेंसर कर रहे हैं ऐसी चुनौतियों का सामना करते हुए, एक व्याख्याता ने कहा कि वह खुद को विवादास्पद मुद्दों से दूर रखने के लिए मजबूर पाती हैं, क्योंकि यदि उन्हें उठाया जाता है, तो कक्षा का कम समय उत्पादक चर्चा के लिए पर्याप्त नहीं होगा. उनका कहना था कि यह समय 2000 के दशक के मध्य के विपरीत है जब उसने पढ़ाना शुरू किया, उस समय वह कक्षा में चर्चा के लिए किसी भी मुद्दे को उठाने के लिए स्वतंत्र महसूस करती थीं. एक अन्य व्याख्याता ने कहा: ‘‘मैं अब ताइवान के बारे में बात नहीं करता’’. अक्सर व्याख्याता नहीं बल्कि छात्र वैचारिक मुद्दों से बचते हैं. एं पढ़ाने वाले एक व्याख्याता का कहना था कि अंतरराष्ट्रीय छात्रों की प्रतिक्रिया के डर से उन्होंने खुद को मौन रखना सीख लिया है.