
प्रयागराज (उप्र), 18 फरवरी इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अवैध तरीके से भूमि से मूल स्वामी को बेदखल करने और निजी संपत्ति में अवैध रूप से हस्तक्षेप करने के लिए प्रयागराज के जिला प्रशासन की आलोचना की है।
अदालत ने प्रयागराज के जिला मजिस्ट्रेट को विवादित संपत्ति का कब्जा उसके कानूनी रूप से मालिक के पक्ष में बहाल करने का निर्देश दिया है।
अरुण प्रकाश शुक्ल नाम के व्यक्ति द्वारा दायर एक रिट याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की पीठ ने पारित किया और जिला प्रशासन की कार्रवाई को यह कहते हुए नामंजूर किया कि अचल संपत्ति को लेकर दीवानी विवादों में यह कार्रवाई उसके अधिकार क्षेत्र से परे है।
अदालत ने कहा कि प्रशासन की भूमिका भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता (बीएनएनएस) की धारा 107 और 116 के तहत कानून व्यवस्था बनाए रखने तक सीमित है और कब्जा या बैनामा को लेकर विवादों का हल न्यायपालिका द्वारा किया जाना चाहिए ना कि प्रशासनिक हस्तक्षेप से।
इस मामले में याचिकाकर्ता ने प्रयागराज के सोरांव में मौजा कटरा दयाराम में स्थित संपत्ति पर अपने कब्जे को संरक्षण दिए जाने की मांग के साथ उच्च न्यायालय से संपर्क किया था। यह संपत्ति राम नरेश मिश्रा से खरीदी गई थी जिसके वारिसों ने इस सौदे पर आपत्ति की थी जिसे निचली अदालत द्वारा 2013 में खारिज कर दी गई थी।
विपक्षी रमाकांत ने जमीन से जबरदस्ती बेदखल किए जाने का दावा करते हुए जिला प्रशासन से संपर्क किया। इस दावे पर कार्रवाई करते हुए जिला प्रशासन ने गैर कानूनी ढंग से हस्तक्षेप किया, जांच कराई और राजस्व रिकॉर्ड के आधार पर कब्जा रमाकांत के पक्ष में बहाल कर दिया। पुलिस की मदद से इस कार्रवाई में याचिकाकर्ता को संपत्ति के कब्जे से बेदखल कर दिया गया।
प्रतिवादी का दावा खारिज करते हुए अदालत ने कहा, “हम जमीन से याचिकाकर्ता को बेदखल करने की जिला प्रशासन की कार्रवाई मंजूर नहीं कर सकते। जिला प्रशासन अनाधिकृत हस्तक्षेप वापस ले और याचिकाकर्ता का कब्जा बहाल करे। कब्जा बहाली के समय पर्याप्त पुलिस सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए।”
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