पटाखा निर्माता प्रतिबंधित पदार्थ हरित पटाखों के रूप में इस्तेमाल कर रहे : उच्चतम न्यायालय
सुप्रीम कोर्ट (Photo Credits: IANS)

नयी दिल्ली, 6 अक्टूबर : उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि हरित पटाखों की आड़ में पटाखा निर्माताओं द्वारा प्रतिबंधित पदार्थे का इस्तेमाल किया जा रहा है और दोहराया कि पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के उसके पहले के आदेश का पालन हर राज्य को करना चाहिए. न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत उत्सव मनाने के खिलाफ नहीं है लेकिन दूसरे नागरिकों के जीवन की कीमत पर नहीं. पीठ ने कहा कि जश्न का मतलब तेज पटाखों का इस्तेमाल नहीं है, यह "फुलझड़ी" के साथ भी हो सकता है और शोर न मचाने वाले पटाखों के साथ भी. इसने कहा, “हमारे पिछले आदेश का हर राज्य द्वारा पालन किया जाना चाहिए. इस तथ्य के बावजूद कि संयुक्त पटाखों पर एक विशिष्ट प्रतिबंध है, यदि आप किसी राज्य या शहर या किसी उत्सव में जाते हैं, तो संयुक्त पटाखे बाजार में खुले तौर पर उपलब्ध हैं.”

पीठ ने कहा, “हमारे आदेश का पालन किया जाना चाहिए. सवाल एक सामग्री के बजाय दूसरी सामग्री के इस्तेमाल का नहीं है. इसे बाजार में खुलेआम बेचा जा रहा है और लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. हम जानना चाहते हैं कि अगर प्रतिबंध है तो वे बाजारों में कैसे उपलब्ध हैं?” जैसे ही सुनवाई शुरू हुई, याचिकाकर्ता अर्जुन गोपाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि उन्होंने सीबीआई रिपोर्ट के आधार पर एक अतिरिक्त हलफनामा दायर किया है और जो पता चला है वह वास्तव में बहुत परेशान करने वाला है. यह भी पढ़ें Karnataka Case: पिता ने मजदूरों पर चलाई गोली, जो मजदूरों को न लगकर उसके बेटे के सिर में लगी

पटाखों के निर्माता संघ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने दलील दी कि उद्योग को सरकार द्वारा जारी प्रोटोकॉल के अनुसार काम करना चाहिए.

दवे ने कहा, “यह एक संगठित उद्योग है. लगभग पांच लाख परिवार हम पर निर्भर हैं. जहां तक शिवकाशी का संबंध है, हम सभी सावधानियां बरत रहे हैं.” शीर्ष अदालत ने कहा कि मुख्य कठिनाई उसके आदेशों के क्रियान्वयन को लेकर है. वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव दत्ता ने कहा कि यदि एक या दो निर्माता आदेशों का उल्लंघन कर रहे हैं तो पूरे उद्योग को इसका नुकसान नहीं होना चाहिए. शीर्ष अदालत ने पक्षों से सीबीआई रिपोर्ट के जवाब में दायर जवाबी हलफनामों की प्रतियों एक-दूसरे को देने के लिए कहा और मामले की सुनवाई 26 अक्टूबर को तय की.