देश की खबरें | कोविड केंद्र घोटाला: पीएमएलए कोर्ट ने कारोबारी सुजीत पाटकर को जमानत देने से किया इनकार

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. मुंबई की एक विशेष अदालत ने सोमवार को कथित कोविड उपचार केंद्र घोटाले में शिवसेना सांसद संजय राउत के सहयोगी एवं व्यवसायी सुजीत पाटकर को जमानत देने से इनकार कर दिया और कहा कि उन्होंने अपराध से धन अर्जित करने के लिए डॉक्टरों और कर्मचारियों की कम तैनाती करके “लोगों के जीवन” के साथ खिलवाड़ किया।

मुंबई, 18 अक्टूबर मुंबई की एक विशेष अदालत ने सोमवार को कथित कोविड उपचार केंद्र घोटाले में शिवसेना सांसद संजय राउत के सहयोगी एवं व्यवसायी सुजीत पाटकर को जमानत देने से इनकार कर दिया और कहा कि उन्होंने अपराध से धन अर्जित करने के लिए डॉक्टरों और कर्मचारियों की कम तैनाती करके “लोगों के जीवन” के साथ खिलवाड़ किया।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा कि पाटकर ने “राजनीतिक रूप से सक्रिय व्यक्ति के साथ अपनी निकटता के कारण” महामारी के दौरान दहिसर और वर्ली जंबो कोविड सुविधाओं में चिकित्सा स्टाफ की आपूर्ति के लिए अपनी साझेदारी फर्म लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट के लिए एक अनुबंध प्राप्त करने में कामयाबी हासिल की।

जांच एजेंसी ने आरोप लगाया है कि अधूरे और गलत रिकॉर्ड के आधार पर निविदा प्राप्त करने और नगर निकाय से धोखाधड़ी से भुगतान प्राप्त करने के परिणामस्वरूप लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज को 32.44 करोड़ रुपये की आपराधिक आय (पीओसी) अर्जित हुई।

अपराध की कुल आय में से 2.81 करोड़ रुपये पाटकर के निजी बैंक खाते में जमा कर दिए गए।

विशेष धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अदालत के न्यायाधीश ए.सी. डागा ने कहा कि महामारी के दौरान समाज को एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी जो आगे आकर मानव जीवन को बचा सके।

अदालत ने कहा, “आवेदक/आरोपी अपने सहयोगियों के साथ आगे आकर यद्यपि यह दिखाने की कोशिश कर रहे थे कि वे मानव जीवन को बचाना चाहते हैं, लेकिन उन्होंने एक आपराधिक साजिश रची है और डॉक्टरों और कर्मचारियों की कम तैनाती करके बड़े पैमाने पर लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया है, जिसका एकमात्र उद्देश्य बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) को धोखा देना और फर्जी बिलों और वाउचरों के जरिए अपराध की आय अर्जित करना था।”

अदालत ने आगे कहा कि गवाहों के पर्याप्त बयान हैं जो दर्शाते हैं कि पाटकर के निर्देश पर तैनात किये जाने वाले कर्मचारियों की संख्या से अधिक कर्मचारियों की सूची तैयार की गई थी।

पाटकर के अलावा अन्य आरोपियों में लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज फर्म, उसके तीन साझेदार और दहिसर जंबो कोविड सेंटर के डीन डॉ. किशोर बिसुरे शामिल हैं।

इस मामले में केवल पाटकर और बिसुरे को ही गिरफ्तार किया गया है। तीन साझेदार- हेमंत गुप्ता, संजय शाह और राजीव सालुंखे तथा फर्म के कर्मचारी डॉ. अरविंद सिंह दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधान के तहत जमानत पर हैं।

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