देश की खबरें | न्यायालय ने केंद्र के नोटबंदी के फैसले को 4:1 के बहुमत के साथ सही ठहराया

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार के 2016 में 500 और 1000 रुपये की श्रृंखला वाले नोटों को बंद करने के फैसले को सोमवार को 4:1 के बहुमत के साथ सही ठहराया। पीठ ने बहुमत से लिए गए फैसले में कहा कि नोटबंदी की निर्णय प्रक्रिया दोषपूर्ण नहीं थी ।हालांकि न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना ने सरकार के फैसले पर कई सवाल उठाए।

नयी दिल्ली, दो जनवरी उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार के 2016 में 500 और 1000 रुपये की श्रृंखला वाले नोटों को बंद करने के फैसले को सोमवार को 4:1 के बहुमत के साथ सही ठहराया। पीठ ने बहुमत से लिए गए फैसले में कहा कि नोटबंदी की निर्णय प्रक्रिया दोषपूर्ण नहीं थी ।हालांकि न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना ने सरकार के फैसले पर कई सवाल उठाए।

न्यायमूर्ति एस. ए. नज़ीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि आर्थिक मामले में संयम बरतने की जरूरत होती है और अदालत सरकार के फैसले की न्यायिक समीक्षा नहीं कर सकती।

पीठ में न्यायमूर्ति नज़ीर के अलावा न्यायमूर्ति बी. आर. गवई , न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना, न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यन भी शामिल हैं।

लेकिन न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना ने कहा कि 500 और 1000 रुपये की श्रृंखला के नोट कानून बनाकर ही रद्द किए जा सकते थे, अधिसूचना के जरिए नहीं।

न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा, ‘‘ संसद में नोटबंदी कानून लाने को लेकर चर्चा होनी चाहिए थी। इसे गजट अधिसूचना के जरिए नहीं किया जाना चाहिए था। देश के लिए इतने महत्वपूर्ण मामले में संसद को अलग नहीं रखा जा सकता।’’

उन्होंने कहा कि रिज़र्व बैंक ने इस मामले में स्वतंत्र रूप से विचार नहीं किया, उससे सिर्फ राय मांगी गई जिसे केंद्रीय बैंक की सिफारिश नहीं कहा जा सकता।

वहीं पीठ ने अन्य सदस्यों की राय है कि नोटबंदी के फैसले को अनुचित नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि इस संबंध में फैसला भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) और सरकार के बीच विचार-विमर्श के बाद किया गया।

शीर्ष अदालत केंद्र के नोटबंदी के फैसले को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

पीठ ने कहा कि आठ नवंबर 2016 की अधिसूचना को अनुचित नहीं ठहराया जा सकता और फैसला करने की प्रक्रिया के आधार पर इसे रद्द नहीं किया जा सकता। अधिसूचना में 500 और 1000 रुपये की श्रृंखला वाले नोट बंद करने के फैसले की घोषणा की गई थी।

न्यायालय ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि इसके उद्देश्य हासिल हुए या नहीं।

पीठ ने कहा, ‘‘ भारतीय रिज़र्व बैंक और केंद्र ने इस संबंध में छह महीने तक विचार-विमर्श किया। हमारा मानना है कि ऐसा कदम उठाने को लेकर उचित वजह मौजूद थी..’’

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