देश की खबरें | न्यायालय ने तेलंगाना के डीजीपी से कहा, अभियोजन और सरकारी वकील के बीच संवादहीनता दूर की जाए

नयी दिल्ली, चार अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने तेलंगाना के एक आपराधिक मामले में निर्णय लेने में उचित सहायता नहीं मिलने पर अप्रसन्नता जताते हुए शुक्रवार को तेलंगाना पुलिस प्रमुख से अभियोजन पक्ष और सरकारी वकील के बीच संवादहीनता को कम करने के लिए कदम उठाने को कहा।

न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) डॉ जितेंद्र से कहा कि आपराधिक मामलों में अदालत को लगातार उचित मदद नहीं मिल रही है। डॉ जितेंद्र डिजिटल तरीके से अदालत में उपस्थित हुए।

न्यायमूर्ति भट्टी ने कहा, ‘‘मैं आपको बता दूं कि हमें आपराधिक मामलों में आपके राज्य से उचित सहायता नहीं मिल रही, यह ‘डिफॉल्ट’ स्थिति है।’’

न्यायमूर्ति रॉय ने कहा कि तेलंगाना से जुड़े मामलों में बार-बार ऐसा देखा जा रहा है।

राज्य के शीर्ष पुलिस अधिकारी ने स्वीकार किया कि पुलिस अधिकारियों की ओर से कुछ चूक हुई हैं क्योंकि आरोपपत्र में किसी तारीख का उल्लेख नहीं है। उन्होंने कहा कि चूक के लिए अधिकारियों के खिलाफ जरूरी कार्रवाई की जाएगी।

राज्य सरकार के वकील ने भी संवादहीनता के लिए माफी मांगी और कहा कि ऐसा दोबारा नहीं होगा।

पीठ ने डीजीपी से कहा कि एक अक्टूबर को न्यायालय के संज्ञान में जो खामियां आई हैं, उनका संकेत देने वाला एक हलफनामा दायर किया जाए।

शीर्ष अदालत बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के नेता वी जनैया यादव की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जो पहले भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) में थे।

यादव ने पिछले साल शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था और आरोप लगाया था कि उनके बीआरएस छोड़ने और बसपा में शामिल होने के बाद तत्कालीन बीआरएस सरकार ने आपराधिक मुकदमा दर्ज कराया।

न्यायालय ने यादव के खिलाफ दर्ज अनेक प्राथमिकियों के मामले में पिछले साल उन्हें गिरफ्तार करने से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया था।

शीर्ष अदालत ने एक अक्टूबर को एक आपराधिक मामले में अभियोजन पक्ष और सरकारी वकील के बीच संवादहीनता पर नाखुशी जताते हुए डीजीपी से अदालत में पेश होने को कहा था।

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