मुंबई, 14 मई मुंबई में आवश्यक सेवा प्रदान करने वाले कर्मियों के लिये महानगर में अस्थायी अवास की व्यवस्था की मांग वाली एक जनहित याचिका पर बम्बई उच्च न्यालाय ने महाराष्ट्र सरकार को जवाब देने का निर्देश दिया है। ये लोग अपने काम के लिये रोज मुंबई और पालघर जिले के बीच यात्रा करते हैं ।
पालघर जिले के रहने वाले चरन रविंद्र भट ने यह जनहित याचिका दायर की है । इस याचिका में दावा किया गया है कि मुंबई में कोविड—19 प्रभावित इलाकों के दौरे से कई लोगों में कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुयी है ।
याचिका में यह दावा किया गया है कि आवश्वक सेवा प्रदान करने के अग्रिम मोर्चे पर खड़े ये कर्मी मुंबई में संक्रमित होकर वापस वसई एवं विरार इलाके में अपने घर जाते हैं जिससे पालघर जिले में यह संक्रमण फैला है।
याचिका में दावा किया गया है कि यही स्थिति ठाणे, कल्याण, डोम्बिवली और नवी मुंबई में भी है।
याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय को बताया कि प्रत्येक दिन राज्य सरकार के परिवहन विभाग की बसें वसई, विरार एवं मुंबई के बीच इन कर्मियों के लिये 129 बार आना जाना करती हैं ।
भट ने इन कर्मियों को अस्थायी तौर पर मुंबई में आवास मुहैया कराने का अनुरोध किया गया है ।
याचिका पर सुनवाई करते हुये मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपांकर दत्त एवं न्यायमूर्ति ए ए सईद की खंडपीठ ने मंगलवार को इस संबंध में राज्य सरकार से 15 मई तक जवाब तलब किया है।
याचिका के अनुसार एक मई को पालघर जिले में कोरोना वायरस संक्रमण के 136 मामले सामने आये हैं जिनमें से दस लोगों की मौत हो चुकी है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, लेटेस्टली स्टाफ ने इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया है)