अदालत ने कोविड-19 के मरीजों के लिए रेल डिब्बों के इस्तेमाल के खिलाफ याचिका खारिज की

अदालत ने कहा कि रेल डिब्बों को कोरोना वायरस के मरीजों के लिए वार्डों में बदलने से नहीं रोका जा सकता क्योंकि यह व्यापक जनहित का मामला है और यह अदालत प्रशासनिक निर्णयों पर विचार नहीं कर सकती तथा बोगियों को वार्डों में बदलने के विषय पर राय व्यक्त नहीं कर सकती।

चेन्नई, 11 अप्रैल मद्रास उच्च न्यायालय ने कोविड-19 के मरीजों के लिए रेल डिब्बों का इस्तेमाल करने से रोकने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी और कहा कि इस मामले में वह सरकार के फैसले में तब तक दखल नहीं दे सकता जब तक वह अवैध या अनुचित न हो।

अदालत ने कहा कि रेल डिब्बों को कोरोना वायरस के मरीजों के लिए वार्डों में बदलने से नहीं रोका जा सकता क्योंकि यह व्यापक जनहित का मामला है और यह अदालत प्रशासनिक निर्णयों पर विचार नहीं कर सकती तथा बोगियों को वार्डों में बदलने के विषय पर राय व्यक्त नहीं कर सकती।

न्यायमूर्ति एस वैद्यनाथन ने रेलवे के वकीलों का पक्ष सुनने के बाद एम मुनुसामी की याचिका खारिज कर दी।

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार रेल डिब्बों को केवल पृथक वार्ड बनाने जा रही है, न कि अस्पताल।’’

वकीलों ने कहा कि रेल डिब्बों को ऐसे कोरोना वायरस रोगियों के लिए इस्तेमाल किया जाना है जो बहुत गंभीर नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इन डिब्बों को ऐसे स्थानों और गांवों तक पहुंचाया जाएगा जहां रोगियों को अलग करने के लिए कोई स्थान नहीं है।

यह भी कहा गया कि ऐसे बदले हुए रेल डिब्बों में रोगियों के उपचार के लिए कोई वेंटिलेटर नहीं लगाया जाएगा जिसका स्पष्ट मतलब हुआ कि सरकार का इन बोगियों को अस्पताल बनाने का कोई विचार नहीं है।

न्यायाधीश ने याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि यह केवल प्रचार पाने की मंशा से दाखिल की गयी लगती है।

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