देश की खबरें | अदालत ने दिल्ली दंगे के आरोपी की 10वीं जमानत याचिका खारिज की

नयी दिल्ली, पांच अप्रैल दिल्ली की एक अदालत ने उत्तर पूर्व दिल्ली में 2020 में हुए दंगों से जुड़े एक मामले में एक आरोपी की 10वीं जमानत याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी और कहा कि सिर्फ इसीलिए राहत नहीं दी जा सकती, क्योंकि प्रत्यक्षदर्शियों में से एक ने अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं किया।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने शोएब आलम उर्फ बॉबी की अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।

बॉबी पर उत्तर पूर्वी दिल्ली में 25 फरवरी 2020 को चांद बाग पुलिया के पास एक गोदाम में लूटपाट करने और आगजनी करने वाली दंगाइयों की भीड़ में शामिल होने का आरोप है।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, भीड़ में आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के लगभग 50 सहयोगी शामिल थे।

इस मामले में दिल्ली पुलिस की तरफ से विशेष अभियोजक के रूप में मधुकर पांडे अदालत में पेश हुए।

अदालत ने पिछले साल मार्च में उच्च न्यायालय द्वारा गुण-दोष के आधार पर आलम की पिछली जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद परिस्थितियों में हुए बदलाव पर विचार किया।

इसने कहा कि गवाहों में से एक शमशाद प्रधान ने अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं किया, जबकि दो अन्य गवाहों ने समर्थन किया है।

अदालत ने कहा कि अन्य चश्मदीद प्रदीप वर्मा से पूछताछ अभी बाकी है।

इसने कहा, ‘‘ इस तरह की स्थिति में, सिर्फ इसलिए कि चश्मदीदों में से एक शमशाद प्रधान ने अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं किया, यह नहीं कहा जा सकता कि आवेदक को जमानत पर रिहा करने के लिए उसके पक्ष में पर्याप्त आधार हैं। ऐसे में आवेदन को खारिज किया जाता है।’’

अदालत ने इसी तरह की टिप्पणी करते हुए मामले के एक अन्य आरोपी गुलफाम की चौथी जमानत याचिका भी खारिज कर दी।

खजूरी खास थाने की पुलिस ने दोनों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।

फरवरी 2020 में उत्तर पूर्व दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों में 53 लोगों की जान चली गई थी और 700 से अधिक घायल हो गए थे।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)