नयी दिल्ली, 14 अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने धन शोधन के मामले में गिरफ्तार आम आदमी पार्टी (आप) के नेता सत्येंद्र जैन को मानसिक रूप से अस्वस्थ घोषित करने का अनुरोध करने वाली अर्जी पर दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को शुक्रवार को याचिकाकर्ता पर 20,000 रुपये का जुर्माना लगाकर खारिज कर दिया।
उच्च न्यायालय ने 16 अगस्त को अपने आदेश में इस संबंध में याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि वह जैन को मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति नहीं घोषित कर सकता तथा उन्हें विधानसभा की सदस्यता और दिल्ली सरकार के मंत्री के तौर पर अयोग्य नहीं ठहरा सकता।
न्यायमूर्ति एस.के. कौल और न्यायमूर्ति ए.एस. ओका की पीठ ने कहा, ‘‘याचिका इतनी भ्रामक और न्यायिक समय की बर्बादी है कि याचिकाकर्ता से अदालत खर्च के तौर पर 20,000 रुपये वसूले जाने की जरूरत है।’’
पीठ ने याचिका खारिज करते हुए निर्देश दिया कि यह रकम उच्चतम न्यायालय मध्यस्थता एवं सुलह परियोजना समिति के पास चार हफ्तों के अंदर जमा की जाए।
याचिका में दावा किया गया है, ‘‘यह भी दलील दी गई है कि दिल्ली सरकार में मंत्री सत्येंद्र कुमार जैन ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों के समक्ष कहा था कि उनकी याददाश्त चली गई है और इस बात की सूचना विशेष न्यायाधीश, राउज एवेन्यू जिला अदालत, नयी दिल्ली को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने दे दी है।’’ जैन 2015 से शकूर बस्ती सीट से विधानसभा सदस्य हैं।
याचिका में कहा गया है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जैन मंत्री और विधायक बने हुए हैं। इसमें कहा गया है कि जैन ने यहां विशेष अदालत में एक जमानत अर्जी दी थी और बहस के दौरान अतिरिक्ति सॉलीसीटर जनरल ने बताया था कि आप नेता ने ईडी अधिकारियों से कहा है कि कोविड-19 से गंभीर रूप से प्रभावित होने के चलते उन्हें अपना हस्ताक्षर सहित कई चीजें याद नहीं हैं।
उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय ने जैन को मंत्रिमंडल से निलंबित करने की एक अलग याचिका खारिज करते हुए कहा था कि इस बारे में मुख्यमंत्री को फैसला करना है कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले एक व्यक्ति को मंत्री पद पर बरकरार रखा जाए या नहीं।
ईडी ने जैन और दो अन्य लोगों को धन शोधन के एक मामले में गिरफ्तार किया था।
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