अहमदाबाद, 22 जून गुजरात उच्च न्यायालय ने भगवान जगन्नाथ के भक्तों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाले एक एनजीओ की याचिका पर सुनवाई करने से सोमवार को इंकार कर दिया। एनजीओ ने अपनी याचिका में वार्षिक रथयात्रा पर रोक संबंधी उसके आदेश में संशोधन करने का अनुरोध किया था।
एनजीओ हिंदू युवा वाहिनी की याचिका सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की खंडपीठ के समक्ष आयी।
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श्री जगन्नाथजी मंदिर ट्रस्ट द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित रथ यात्रा गुजरात के सबसे लोकप्रिय धार्मिक उत्सवों में से एक है। इस साल इसका आयोजन 23 जून को होना था।
पीठ ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और कहा कि मंदिर के मुख्य पुजारी ने खुद मीडिया को बताया है कि 23 जून को भगवान जगन्नाथ और अन्य देवताओं के रथ को मंदिर परिसर के भीतर निकाला जाएगा ताकि भक्तों के स्वास्थ्य की रक्षा की जा सके।
याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया था कि 23 जून की निर्धारित तिथि को जगन्नाथ मंदिर से प्रतीकात्मक रथ यात्रा निकालने की अनुमति दी जाए।
याचिका में अनुरोध किया गया था कि इसमें सिर्फ तीन पवित्र रथों के लिए अनुमति दी जाए और इसमें जनता की कोई भागीदारी नहीं हो और यह सबसे छोटे मार्ग से हो।
मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की खंडपीठ ने शनिवार को एक आदेश में रथ यात्रा से जुड़ी सभी धर्मनिरपेक्ष और धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगा दी।
हिंदू युवा वाहिनी ने अपने वकील विवेक भामरे के जरिए सोमवार को अनुरोध किया था कि उसे भगवान जगन्नाथ के भक्तों का प्रतिनिधित्व करने के लिए तीसरे पक्ष के रूप में शामिल किया जाए। याचिका में कहा गया है कि जिस जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान रोक लगायी गयी थी, उसमें भगवान जगन्नाथ के भक्तों का प्रतिनिधित्व नहीं था।
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