देश की खबरें | अदालत ने जलवायु परिवर्तन पर वादों को पूरा करने संबंधी याचिका पर केंद्र से रुख बताने को कहा
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को उस जनहित याचिका पर केंद्र से अपना रुख बताने को कहा जिसमें 2021 में जलवायु परिवर्तन संबंधी संयुक्त राष्ट्र संरचना सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी) में भारत द्वारा किए गए वादों को पूरा करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन का अनुरोध किया गया है।
नयी दिल्ली, 20 अप्रैल दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को उस जनहित याचिका पर केंद्र से अपना रुख बताने को कहा जिसमें 2021 में जलवायु परिवर्तन संबंधी संयुक्त राष्ट्र संरचना सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी) में भारत द्वारा किए गए वादों को पूरा करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन का अनुरोध किया गया है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने वकील रोहित मदान की याचिका पर केंद्र से स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। मदान ने जोर दिया है कि अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का सम्मान करना भारत सरकार का कर्तव्य है।
केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि केंद्र याचिका में उठाए गए मुद्दे के प्रति जागरूक है और पहले ही कई समितियों का गठन किया जा चुका है। इनमें जलवायु परिवर्तन पर प्रधानमंत्री की परिषद शामिल है जो अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
वकील अक्षय आर के जरिए दायर याचिका में, याचिकाकर्ता ने कहा है कि कई अन्य देशों की तरह भारत ने 2021 में ग्लासगो में आयोजित यूएनएफसीसीसी के दौरान कुछ प्रतिबद्धताएं जतायी थीं जिनमें 2030 तक गैर-जीवाश्म क्षमता 500 जीडब्ल्यू तक पहुंचना, 50 प्रतिशत ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति अक्षय स्रोतों से
करना आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इन प्रतिबद्धताओं को पूरा किया जाना चाहिए।
याचिका में कहा गया है कि ऐसी समय सीमा को पूरा करने के लिए सिर्फ आठ साल का समय बाकी है और ऐसे में जमीनी कार्य तुरंत करने की आवश्यकता है। इसमें कहा गया है कि भारत सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा समन्वित कार्रवाई करने की जरूरत है और भारत द्वारा जतायी गयी प्रतिबद्धताओं के मद्देनजर एक स्पष्ट रोडमैप तैयार करने की जरूरत है।
याचिकाकर्ता ने इस संबंध में मशहूर न्यायविदों, तकनीकी विशेषज्ञों, प्रबंधन विशेषज्ञों की एक समिति गठित किए जाने का अनुरोध किया है जो ‘कॉप 26’ में किए गए वादों को पूरा करने के लिए किसी विधायी संशोधन सहित विभिन्न उपायों के लिए सुझाव दे सकते हैं।
इस मामले में अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगी।
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