अदालत ने लूटपाट के मामले में दो आरोपितयों को बरी किया, पुलिस की हुई खिंचाई

लूटपाट के एक मामले में बृहस्पतिवार को यहां की एक अदालत ने दो आरोपियों को बरी कर दिया और कहा कि उन्हें फंसाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. इसने पुलिस आयुक्त से कहा कि वह जांच के तरीके पर गौर करें.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo: Pixabay)

नयी दिल्ली, 12 अगस्त: लूटपाट के एक मामले में बृहस्पतिवार को यहां की एक अदालत ने दो आरोपियों को बरी कर दिया और कहा कि उन्हें फंसाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. इसने पुलिस आयुक्त से कहा कि वह जांच के तरीके पर गौर करें. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने प्राथमिकी दर्ज करने में विलंब, अनुचित जांच और फंसाने का जिक्र किया तथा संदेह का लाभ देते हुए ईश्वर तथा नोनू को बरी कर दिया. न्यायाधीश ने 18 पन्नों के फैसले में कहा, ‘‘मामले में आरोपी लोगों को फंसाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. अभियोजन की कहानी संदेह और विरोधाभास से भरी दिखाई देती है.’’ अभियोजन के अनुसार दोनों ने दिल्ली के यमुना विहार इलाके में 30 अप्रैल 2016 को हथियार के दम पर रामप्रकाश नामक व्यक्ति को लूटा था. उन्हें लूटपाट और जबरन वसूली के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था.

न्यायाधीश ने फैसले की एक प्रति दिल्ली के पुलिस आयुक्त को भी भेजने का निर्देश दिया जिनसे प्राथमिकी और जांच के तरीके को देखने को कहा गया है. उन्होंने कहा कि यह मामला स्पष्ट तौर पर दिखाता है कि किसी व्यक्ति को झूठे मामले में कैसे फंसाया जाता है और किस तरह महराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत मामला दर्ज कर वर्षों तक सलाखों के पीछे रखा जाता है. न्यायाधीश ने कहा कि उपमंडल के सहायक पुलिस आयुक्त और संबंधित रेंज के संयुक्त पुलिस आयुक्त के खिलाफ स्पष्ट आरोप थे जिनकी कभी जांच नहीं की गई.

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आरोपियों ने अदालत से कहा था कि उन्हें शिकायतकर्ता ने सहायक पुलिस आयुक्त और संबंधित रेंज के संयुक्त पुलिस आयुक्त की मिलीभगत से फंसाया है. यह भी उल्लेख किया गया कि मकोका के तहत मामले में आरोपी व्यक्तियों को फंसाने के लिए बहुत ही कम अंतराल में उनके खिलाफ चार प्राथमिकियां दर्ज की गईं.

फैसले की प्रति में उल्लेख किया गया कि आरोपी लोगों की संबंधित मामलों में गिरफ्तारी के बाद, उनके खिलाफ मकोका के मामले में उपमंडल के सहायक पुलिस आयुक्त और थाना प्रभारी, थाना भजनपुरा की मिलीभगत से प्राथमिकी 406/2016 दर्ज की गई. न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें पूरी तरह लगता है कि जांच एजेंसी ने मकोका के मामले में फंसाने का आधार तैयार करने के लिए किसी न किसी साजिश के तहत आरोपियों को मामले में फंसाया.

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