नयी दिल्ली, पांच दिसंबर केंद्र ने 2016 की नोटंबदी को चुनौती देने वाली याचिकाओं का विरोध करते हुए सोमवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि ‘‘जाली नोट, आतंकवाद का वित्तपोषण और काला धन’’ तीन बुराइयां हैं तथा ये ‘जरासंध’ की तरह हैं, जिनके टुकड़े-टुकड़े कर दिए जाने चाहिए।
केंद्र की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने न्यायमूर्ति एस ए नज़ीर के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष कहा कि सरकार इन तीन बुराइयों को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है।
वेंकटरमणी ने कहा, ‘‘उन्होंने (याचिकाकर्ताओं ने) कहा है कि हमें नोटबंदी से पहले अध्ययन करना चाहिए था। एक दशक से अधिक समय से, केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक तीन समस्याओं (जाली नोट, आतंकवाद का वित्तपोषण, काला धन) को देख रहे हैं... वे जरासंध की तरह हैं। आपको इसके टुकड़े-टुकड़े करने हैं। यदि आप इसके टुकड़े नहीं करते हैं, तो यह हमेशा अस्तित्व में रहेगी।’’
संविधान पीठ नोटबंदी को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
केंद्र ने हाल में एक हलफनामे में शीर्ष अदालत को बताया था कि नोटबंदी की कवायद एक "सुविचारित" निर्णय था और यह जाली मुद्रा, आतंकवाद के वित्तपोषण, काला धन तथा कर चोरी के खतरे से निपटने के लिए एक बड़ी रणनीति का हिस्सा थी।
उल्लेखनीय है कि 500 और 1,000 रुपये मूल्य के नोट को चलन से बाहर करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए, केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया था कि भारतीय रिजर्व बैंक के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद यह कदम उठाया गया था और नोटबंदी लागू करने से पहले अग्रिम तैयारी की गई थी।
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