मुंबई, 26 नवंबर : महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी परमबीर सिंह द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रहे एक सदस्यीय आयोग ने शुक्रवार को सिंह को 29 नवंबर को आयोग के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता देशमुख के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए इस साल मार्च में गठित न्यायमूर्ति के. यू. चांदीवाल आयोग ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त को यह निर्देश दिया. आयोग ने बृहस्पतिवार को चेतावनी दी थी कि अगर सिंह आयोग के सामने पेश नहीं हुए, तो उन्हें अपने खिलाफ पहले से जारी जमानती वारंट पर अमल का सामना करना पड़ेगा.
मामला शुक्रवार को सुनवाई के लिए आने पर सिंह के वकील ने आयोग को बताया कि वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी दिन में पेश नहीं हो पाएंगे क्योंकि वह अपने खिलाफ दर्ज एक मामले के सिलसिले में ठाणे में हैं. वकील ने बताया कि सिंह शनिवार को पेश होने के लिए तैयार थे, लेकिन आयोग ने उन्हें इसके बजाय सोमवार को पेश होने का निर्देश दिया. इससे पहले, आयोग ने सिंह पर पेशी में विफल रहने के लिए कई बार जुर्माना भी लगाया था. साथ ही आयोग उनके खिलाफ जमानती वारंट भी जारी कर चुका है. अदालत द्वारा फरार घोषित मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त अपने खिलाफ दर्ज जबरन वसूली के एक मामले में बयान दर्ज कराने के लिए बृहस्पतिवार को मुंबई पुलिस की अपराध शाखा के समक्ष पेश हुए. आईपीएस अधिकारी महाराष्ट्र में जबरन वसूली के कई मामलों का सामना कर रहे हैं, जिसमें ठाणे शहर में दो मामले शामिल हैं. यह भी पढ़ें : UP Assembly Elections 2022: अखिलेश यादव ने रचा योगी आदित्यनाथ के लिए चक्रव्यूह, BJP के कई पुराने साथी भी दे रहे है साथ
मुंबई पुलिस आयुक्त के पद से अपने स्थानांतरण और देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद सिंह ने इस साल मई से काम पर नहीं लौटे हैं. देशमुख उस समय राज्य के गृह मंत्री थे. उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास ‘एंटीलिया’ के पास विस्फोटक सामग्री के साथ एक एसयूवी मिलने और उसके बाद कारोबारी मनसुख हिरन की संदिग्ध मौत के मामले में मुंबई पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को गिरफ्तार किए जाने के बाद सिंह का तबादला कर दिया गया था.